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7000 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर टाटा और अडाणी में छिड़ी जंग, जानिए क्या है पूरा मामला


नई दिल्ली: 7000 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर देश के दो दिग्गज उद्योगपति टाटा पावर (Tata Power) और अडाणी पावर (Adani Power) आमने सामने हैं. अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (Aptel) ने टाटा पावर की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें अडाणी पावर को सात हजार करोड़ के इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने पर सवाल उठाया गया था. इस संबंध में अपीलेट ट्रिब्यूनल ने महाराष्ट्र पावर रेग्युलेटर (MERC) के फैसले को बररकार रखा है.

रेग्युलेटर ने अडाणी पावर को यह कॉन्ट्रैक्ट देने का फैसला नॉमिनेशन बेसिस पर लिया है. माना जा रहा है कि टाटा पावर इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है. इकोनॉमिक टाइम्स ने इस संबंध में टाटा पावर और अडाणी पावर को मेल लिखा था जिसका कोई जवाब नहीं आया है. पावर सेक्टर के लिए यह केस एक बेंचमार्क की तरह होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन (MERC) ने बिना बोली मंगाए ही ट्रांसमिशन कॉन्ट्रैक्ट को एक खास कंपनी को दे दिया.


कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने का टाटा पावर ने किया विरोध
टाटा पावर ने महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटर कमीशन (MERC) की तरफ से वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन का कॉन्ट्रैक्ट अडाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इन्फ्रा (AEMIL) को दिए जाने के विरोध में अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी में शिकायत की. टाटा पावर का कहना है कि इसमें बोली नहीं निकाली गई. टाटा पावर ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के सेक्शन 63 और नेशनल टैरिफ पॉलिसी के तहत 1000 मेगावाट का यह हाई वोल्टेज डायरेक्ट करेंट (HVDC) कॉन्ट्रैक्ट पारदर्शी तरीके से ओपन बिडिंग के तहत दिया जाना चाहिए था.

मार्च 2021 में अडाणी को मिला था यह कॉन्ट्रैक्ट
महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटर की तरफ से मार्च 2021 में यह कॉन्ट्रैक्ट अडाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इन्फ्रा (AEMIL) को सौंपा गया था. यह अडाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड का 100 फीसदी स्पेशल पर्पस व्हीकल यानी SPV है. AEMIL का गठन ट्रांसमिशन सिस्टम के लिए ही किया गया है.

प्राइवेट कंपनियों ने जताई नाराजगी
इस कॉन्ट्रैक्ट को लेकर कई प्राइवेट प्लेयर्स ने विरोध किया है. उनका कहना है कि बिना बोली लगाए ही कॉन्ट्रैक्ट किसी कंपनी को कैसे सौंपा जा सकता है. यह पहली दफा नहीं है जब सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी कॉन्ट्रैक्ट को बिना बोली मंगाए किसी खास कंपनी को सौंप दिया हो.

PowerGrid को भी इसी तरह कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था
29 जनवरी को इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि केंद्र सरकार ने हरियाणा से लेह के बीच इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन का 18500 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट बिना बोली मंगाए ही स्टेट पावर कंपनी PowerGrid को सौंप दिया था. इस घटना पर प्राइवेट कंपनियों ने अपना रोष व्यक्त किया था.

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