नई दिल्ली (New Delhi)। मौसम विभाग (weather department) विभिन्न मॉडलों के जरिये प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द तापमान पर नजर रखे है। वैसे समूची वैश्विक मौसम एजेंसियों की नजर यहां के तापमान पर है क्योंकि लंबे समय से बने ला नीना (La Nina) प्रभाव खत्म हो चुके हैं और यहां अल नीनो (al Nino) की स्थितियां बनी हुई हैं। हालांकि मौसम विभाग का मानना है कि जुलाई से पहले तापमान में बढ़ोतरी (rise in temperature) के आसार नहीं हैं। ऐसे में लोगों को तपती गर्मी से राहत (Relief to people from scorching heat) मिल सकती है।
प्रशांत महासागर में विषुवत रेखा के निकट समुद्र के गर्माने से अल नीनो प्रभाव पैदा होते हैं, जो भारतीय मानसून को प्रभावित करते हैं। जबकि सतह के ठंडा होने से ला नीना प्रभाव पैदा होते हैं, जो मानसून के लिए लाभकारी होते हैं। हालांकि अभी यहां तापमान सामान्य बना हुआ है। विभिन्न मॉडल बता रहे हैं कि गर्मी के मौसम अप्रैल-जून के दौरान इसमें कुछ विसंगतियां हो सकती हैं लेकिन तापमान बढ़ोतरी इतनी ज्यादा नहीं होगी कि अल नीनो प्रभाव दिखने लगे। इसके लिए कम से कम आधे डिग्री की बढ़ोतरी होनी चाहिए।
मौसम विभाग के अनुसार जुलाई या उसके बाद तापमान में बढ़ोतरी के संकेत मिले रहे हैं हालांकि तब तक देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून दस्तक दे चुका होगा। संभावना यह है कि अल नीनो प्रभाव अगस्त या सितंबर तक आगे खिसक सकते हैं। यदि यह प्रभाव अगस्त के बाद उत्पन्न होते हैं तो फिर भारतीय मानसून के प्रभावित होने के बावजूद उसके जमीनी प्रभाव नगण्य होंगे क्योंकि अगस्त तक फसलों का ज्यादातर काम हो चुका होता है। जुलाई में अलनीनो प्रभाव मुश्किल पैदा कर सकते हैं क्योंकि उस दौरान बड़े पैमाने पर धान की रोपाई होती है।
मौसम विभाग अगले सप्ताह बारिश का दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी करने जा रहा है जिसमें अलनीनो की आशंका पर स्थिति और स्पष्ट की जाएगी।
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