लंदन। बच्चों से लेकर बड़ों तक वेट वाइप्स (Wet Wipes) के इस्तेमाल का चलन तेज है. काफी हद तक लोगों की वेट वाइप्स(Wet Wipes) पर निर्भरता बढ़ गई है लेकिन इसके दुष्परिणामों को लेकर भी समय-समय पर चर्चा होती रही है. अब वेट वाइप्स (Wet Wipes) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की आवाज उठी है.
ग्लास्को में COP26 समिट (COP26 Summit) में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (climate change summit) में भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे ने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है. खबरों के मुताबिक प्लास्टिक युक्त वेट वाइप्स (Wet Wipes) पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर यूके की पार्लियामेंट (UK Parliament) में एक महिला सांसद ने नए कानून का प्रस्ताव भी रखा है. वहां की लेबर पार्टी की सांसद फ्लेर एंडरसन (Labor MP Fleur Anderson) ने प्लास्टिक युक्त वेट वाइप्स के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है. उनका प्रस्तावित विधेयक ऐसे समय में पढ़ा गया है जब विश्व के नेता COP26 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के लिए ग्लासगो में बैठक कर रहे हैं.
सांसद एंडरसन ने कहा, अकेले यूके में ही 11 बिलियन वेट वाइप्स उपयोग किए जाते हैं इनमें से 90% में किसी न किसी रूप में प्लास्टिक होता है, जो टूटने पर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है. कई माइक्रोप्लास्टिक इतने छोटे होते हैं कि उन्हें वॉटर ट्रीटमेंट के द्वारा फिल्टर नहीं किया जा सकता है, जिससे वे पानी के नलों में फंस जाते हैं. इसके अलावा समुद्र और नदियों में पॉल्यूशन पर ड्रेनेज सिस्टम जाम होने की बड़ी वजह भी बनते हैं.
इससे पहले एक स्टडी में दावा किया गया कि वेट वाइप्स के इस्तेमाल से एलर्जी पैद होती है. स्किन को केमिकल्स इन्फेक्शन से बचाने के लिए स्किन में पाई जाने वाली कोटिंग को वेट वाइप्स के इस्तेमाल से नुकसान पहुंचता है और स्किन केमिकल्स के प्रति संवेदनशील हो जाती है. रिसर्चर्स ने वेट वाइप्स और एलर्जी के बीच संबंध का पता लगाने के लिए चूहों पर स्टडी की थी.
बता दें, बाजार में उपलब्ध लगभग 90 प्रतिशत वेट वाइप्स मूल रूप से प्लास्टिक (पॉलिएस्टर या पॉलीप्रोपाइलीन) का उपयोग करके बने होते हैं. उपयोग के आधार पर इसे पानी या अन्य तरल केमिकल (जैसे आइसोप्रोपिल अल्कोहल) के साथ मिलाया जाता है फिर उसमें लोशन, परफ्यूम आदि चीजें मिलाई जाती हैं.
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