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WFH पड़ेगा महंगा, कई अलाउंस पर देना होगा टैक्स

नई दिल्ली. कोरोना काल में WFH बेहद लोकप्रिय हो चुका है. घर से काम करने की सहूलियत मिलने से कंपनियों और कर्मचारियों को लॉकडाउन में भी काम जारी रखने में मुश्किल नहीं हुई. लेकिन घर पर काम करने से अब कर्मचारियों के कनवेंस, फूड, क्रैच जैसे अलाउंस का खर्च खत्म हो गया है. ये खर्च ना होने से अगर कंपनी इस रकम का भुगतान करेगी तो इस पर कर्मचारियों को टैक्स देना होगा.

कोरोना काल में WFH शब्द बेहद लोकप्रिय हो गया है. WFH यानी वर्क फ्रॉम होम जिसमें कर्मचारी घर से ही दफ्तर का सारा काम करता है. इस व्यवस्था ने कोरोना काल में भी कंपनियों के काम को नहीं रुकने दिया. कर्मचारियों की नौकरी को भी इस सिस्टम ने सुरक्षित बनाए रखा. लेकिन इस WFH ने टैक्स और रिइंबर्समेंट के मोर्चे पर कंपनियों और कर्मचारियों के सामने कई समस्याएं पैदा कर दीं.

दरअसल, अब घर से काम करने की वजह से कर्मचारी फूड अलाउंस के लिए दावा नहीं कर सकते. कर्मचारियों का सवाल है कि क्या WFH की वजह से उन्हें टैक्स में कोई छूट मिल सकती है? दुनिया भर में कंपनियां इस बात पर काम कर रही हैं कि उनके कर्मचारियों को पहले जो स्पेशल अलाउंस मिल रहे थे उन्हें कैसे एडजस्ट किया जाए.

कोरोना काल में कर्मचारी महामारी के चलते इन अलाउंस के लिए दावा नहीं कर पा रहे हैं. जानकारों का भी मानना है कि सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव जैसे कदम कंपनियों को उठाने होंगे तभी इस नए सिस्टम में कर्मचारियों को टैक्स का अतिरिक्त बोझ पड़ने से बचाया जा सकेगा. इसके अलावा आयकर विभाग के फैसलों पर नजर होगी कि कर्मचारियों को टैक्स की नई टेंशन का सामना इस कोरोना काल में ना करना पड़े.

इसके अलावा भी कई भत्ते हैं जिनके अब असल में खर्च ना होने से टैक्स की मुश्किल बढ़ने वाली है. इनमें शामिल हैं, फ्यूल या कन्वेअंस अलाउंस जिसपर WFH के चलते खर्च बंद हो गया है. HRA पर भी काफी लोगों के अपने शहर लौट जाने से खर्च बंद है क्योंकि वो मकान छोड़ चुके हैं.

कर्मचारियों के पास ब्लॉक इयर की शर्त के चलते LTA से जुड़ा फायदा लेने के लिए सीमित विकल्प बचे हैं. इसके अलावा, मुफ्त या रियायती दरों पर मिलने वाला खाना, ऑफिस जिम, पिक एंड ड्रॉप, क्रैच सुविधा और क्लब की सदस्यता जैसी सुविधाओं का फायदा भी कर्मचारी नहीं उठा सकते. हर तरह के अलाउंस का भुगतान वास्तविक खर्च के आधार पर ही किया जाता है. लेकिन इन सुविधाओं का फायदा लेना फिलहाल मुमकिन नहीं है और अगर कंपनी इसका भुगतान कर रही है तो कर्मचारियों को ऐसे भुगतान के लिए टैक्स देना होगा.

लेकिन इन सब बचत के बीच WFH से बिजली, इंटरनेट, फर्नीचर और घर पर रहकर खाने का खर्च बढ़ दिया है. ऐसे में कर्मचारी कंपनियों से और एचआर विभाग से इन खर्चों के मद्देनजर अपने सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव के लिए बात कर सकते हैं. नए सिस्टम में ऐसे अलाउंस के लिए रास्ता निकालने के लिए कई प्रस्ताव सीबीडीटी के पास हैं.

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