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मुकेश अंबानी की Z+ सिक्यॉरिटी पर क्या बोला Supreme Court, जानिए


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अंबानी बंधुओं- मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी- से जेड प्लस सिक्यॉरिटी कवर वापस लेने की याचिका खारिज कर दी। उसने बॉम्बे हाई कोर्ट की इस टिप्पणी का समर्थन भी किया कि उच्चस्तरीय सुरक्षा उन्हें दी जानी चाहिए जिनकी जान को खतरा हो और जो सुरक्षा का खर्च चुकाने को तैयार हों। याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए अंबानी बंधुओं से सुरक्षा वापस लेने की मांग की थी कि वो खुद के खर्च पर अपनी सुरक्षा की व्यवस्था करने में सक्षम हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘कानून का राज सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है। इसमें ऐसे नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है जिनकी जान को खतरा हो। रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के रेवेन्यू का भारत की जीडीपी पर बड़ा प्रभाव है। इन लोगों की जान को खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।’

अंबानी बंधुओं की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि दोनों उद्योगपति भाइयों और उनके परिवार पर खतरा है। उन्होंने कहा, ‘हम सरकार की तरफ से मिली सुरक्षा के बदले पेमेंट कर रहे हैं।’ इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या हर वो आदमी जिसे जान का खतरा महसूस हो और जो सुरक्षा का खर्च उठाने को तैयार हो, उसे सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए? कोर्ट ने कहा, ‘हमारी राय है कि अगर कोई प्राइवेट इंडिविजुअल पेमेंट करने में सक्षम है तो सरकार को उसे सुरक्षा मुहैया करा ही देनी चाहिए।’ कोर्ट ने कहा कि सरकार को किसी के खतरे और उसकी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करती रहनी चाहिए।

मनमोहन सरकार में मिली थी अंबानी को सुरक्षा
ध्यान रहे कि 2013 में मुकेश अंबानी को जेड प्लस सिक्यॉरिटी देने का मुद्दा बहुत जोर पकड़ा था। तब सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार से देश के सबसे अमीर शख्स को जेड प्लस सिक्यॉरिटी देने पर जवाब-तलब किया था। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर अंबानी को जेड प्लस सिक्यॉरिटी क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख मुकेश अंबानी की सुरक्षा पर सरकार के फैसले कहा कि ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा क्यों प्रदान की जा रही है जबकि आम आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। कोर्ट ने ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि देश में सुरक्षा की कमी के कारण आम लोग असुरक्षित हैं। अदालत ने कहा कि अमीर लोग प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएं ले सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था, ‘यदि उनकी सुरक्षा को खतरे का अंदेशा है तो उन्हें निजी सुरक्षा कर्मियों की सेवाएं लेनी चाहिए। पंजाब में निजी कारोबारियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है लेकिन अब यह संस्कृति मुंबई तक पहुंच गई है।’ कोर्ट ने कहा, ‘हमारा किसी व्यक्ति विशेष को सुरक्षा प्रदान करने से कोई सरोकार नहीं है लेकिन हम तो आम आदमी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।’ केंद्र सरकार ने अपनी बढ़ती आलोचना के मद्देनजर बाद में सफाई दी थी कि उनकी सुरक्षा में जो खर्च आएगा वह अंबानी खुद वहन करेंगे।

‘करीब 15 लाख खर्च उठा रहे अंबानी’
तब सीआरपीएफ के तत्कालीन महानिदेशक प्रणय सहाय ने कहा था, ‘सिक्यॉरिटी पर्सनल की सैलरी और एस्कॉर्ट वाहनों के संचालन पर करीब 15 लाख रुपये खर्च होंगे।’ उन्होंने कहा था कि यह खर्च अंबानी खुद उठाएंगे क्योंकि गृह मंत्रालय के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अंबानी को सुरक्षा पेमेंट के आधार पर दी गई है।

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