विदेश

आतंकी पन्नू को मारने की किसने रची साजिश? कौन है निखिल गुप्ता? अमेरिकी पुलिस ने किया गिरफ्तार

नई दिल्लीः खालिस्तानी आतंकी और जस्टिस फॉर सिख संगठन का प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर अब कनाडा के बाद अमेरिका में भारत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अमेरिकी पुलिस ने आतंकवादी पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचने के मामले में भारतीय मूल के निखिल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है. न्यूयॉर्क में अमेरिकी वकील डेमियन विलियम्स ने एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘प्रतिवादी ने भारत से न्यूयॉर्क शहर में भारतीय मूल के एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश रची, जो सार्वजनिक रूप से सिखों के लिए एक अलग देश की वकालत करता है.’ इस पूरे बयान में पन्नू का नाम कहीं नहीं लिखा हुआ था.

अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस पूरे मामले को लेकर प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि हत्या की साजिश के लिए एक अज्ञात भारतीय सरकारी अधिकारी द्वारा भर्ती किए जाने से पहले निखिल गुप्ता नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी किया करता था. प्रेस रिलीज में बताया गया है कि 52 वर्षीय निखिल गुप्ता एक भारतीय नागरिक हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका और चेक रिपब्लिक के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत गुप्ता को इसी साल साल 30 जून को चेक रिपब्लिक के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था.


अमेरिकी दस्तावेज में एक भारतीय सरकार के अधिकारी का नाम भी है. लेकिन पूरे डॉक्यूमेंट में सरकारी अधिकारी को CC-1 के नाम से संबधित किया गया है. अमेरिका की तरफ से कहा गया है कि सीसी-1 भारत और अन्य जगहों पर निखिल गुप्ता सहित अन्य लोगों के साथ मिलकर अमेरिकी धरती पर एक वकील और राजनीतिक कार्यकर्ता की हत्या की साजिश रचने का काम कर रहा था.

अमेरिका जस्टिस डिपार्टमेंट ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि भारत में बैठे सीसी-1 के कहने पर निखिल गुप्ता ने हत्या के लिए एक ‘किलर’ की तलाश शुरू की. इस दौरान निखिल का संपर्क एक ऐसे शख्स से हुआ, जिसका अपराधियों के साथ उठना-बैठना था. लेकिन यह शख्स कोई किलर नहीं बल्कि अमेरिकी एजेंसियों का एक खुफिया सोर्स था. इसी सोर्स ने निखिल गुप्ता को सुपारी किलर बताकर एक शख्स से मिलवाया. यह सोर्स और सुपारी किलर दोनों ही अंडरकवर एजेंट थे.

Share:

Next Post

182 टेबलों पर होगी मतगणना, उम्मीदवारों को भी बढ़ाना पड़ेंगे अपने एजेंट

Thu Nov 30 , 2023
ईवीएम के लिए जहां 19 टेबलें बढ़ाना पड़ीं, तो डाक मतपत्रों की संख्या अधिक होने के चलते पहली बार रिकॉर्ड 28 टेबलें बढ़ाई गईं, ताकि परिणाम मिलने में देरी ना हो इंदौर। यह पहला मौका है जब 14-14 की बजाय आयोग ने टेबलों की संख्या बढ़ाने की अनुमति दी है, ताकि चुनाव परिणामों में देरी […]