नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona virus) के नए स्वरूप बी.1.1.529 (New Variant B.1.1.529) से दुनियाभर में बढ़ी चिंता के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक (World Health Organization Chief Scientist) सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19(Covid-19) के विकास पर डब्ल्यूएचओ(WHO) के तकनीकी सलाहकार समूह ने स्थिति की समीक्षा करने और संस्करण के संबंध में आगे के अध्ययन के लिए शुक्रवार को एक बैठक आयोजित की. इसके साथ ही उन्होंने दुनिया के देशों से नहीं घबराने और टीकाकरण(Vaccination) कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को मजबूत करने का भी आग्रह किया.
इसके साथ ही उन्होंने लोगों से वायरस के नए स्वरूप (New Variant of virus) से सतर्क रहने, इस बारे में वैज्ञानिकों को सुनने और इससे नहीं घबराने को कहा है. इस नए स्वरूप के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायरस के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है जो टीका के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं और उनके प्रसार की दर और अधिक हो सकती है व कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले मामलों में वृद्धि हो सकती है. इस बीच, एक शीर्ष विशेषज्ञ का कहना है कि इसका कोविड-19 टीकों पर पड़ने वाले प्रभाव का कई सप्ताह तक पता नहीं चल सकेगा.
डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमेयर ने यात्रा उपायों को लागू करने के खिलाफ देशों को आगाह किया है. उन्होंने कहा, “डब्ल्यूएचओ सिफारिश करता है कि यात्रा उपायों को लागू करते समय देश जोखिम-आधारित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण लागू करना जारी रखें.”
लिंडमेयर का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका से आने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है और अन्य देश भी इस तरह के उपायों को लागू करने पर विचार कर रहे हैं. गौरतलब है कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप बी.1.1.529 सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ही सामने आया है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कोविड-19 संबंधी आनुवंशिक अनुक्रमण कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाली शेरोन पीकॉक ने कहा कि यह पता करने में अभी कई सप्ताह लगेंगे कि नए स्वरूप के खिलाफ मौजूदा कोविड रोधी टीके प्रभावी हैं या नहीं. पीकॉक ने यह भी कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि इस स्वरूप से अधिक घातक बीमारी होती है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में जेनेटिक्स इंस्टिट्यूट के निदेशक फ्रेंकोइस बलौक्स ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और विशेष रूप से इसके गौतेंग प्रांत में कोविड-19 के मामलों में तीव्र वृद्धि चिंताजनक है.
नए स्वरूप पर क्या कहते हैं दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिक
इस स्वरूप के बारे में दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों का कहना है कि देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रांत गौतेंग में महामारी के मामलों में हालिया वृद्धि के लिए यही उत्परिवर्तित स्वरूप जिम्मेदार हो सकता है. यह स्पष्ट नहीं है कि नया स्वरूप वास्तव में कहां से आया है, लेकिन पहली बार दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया और हांगकांग तथा बोत्सवाना के यात्रियों में भी इसका संक्रमण देखा गया है.