इंदौर। कौन बनेगा कुलपति… इसकी मशक्कत हमेशा से इंदौर में चलती रही है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की मौजूदा कुलपति का कार्यकाल खत्म हो रहा है और उन्हें धारा 52 के तहत सीमित अवधि के लिए ही कुलपति बनाया गया था। लिहाजा नए कुलपति की दौड़ शुरू हो गई है। देश के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब कुलपति बनने की दौड़ में पति और पत्नी दोनों शामिल हों। काबिना मंत्री के भाई होने के नाते डॉ. सुरेश सिलावट और उनकी प्रोफेसर पत्नी डॉ. सुधा सिलावट ने भी आवेदन किया है, तो ग्वालियर की मौजूदा कुलपति भी इस दौड़ में शामिल हैं, जिनके भाई फिलहाल सीबीआई चीफ जैसे अतिमहत्वपूर्ण ओहदे पर काबिज हैं।
इंदौर में भी कुलपति बनने की कतार में कई जानी-मानी हस्तियां शामिल रही हैं और पिछली बार भी जिवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर की स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स की विभागाध्यक्ष और प्रो. रेणु जैन को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का कुलपति धारा 52 के तहत बनाया गया था। इसमें भी उस वक्त कार्यवाहक राज्यपाल रही आनंदीबेन पटेल का योगदान था, जो अब प्रदेश की राज्यपाल का जिम्मा भी संभाल रही हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि रेणु जैन को कुलपति बनवाने में भी ग्वालियर के जिवाजी विश्वविद्यालय की मौजूदा कुलपति संगीता शुक्ला का ही हाथ रहा। उन्हीं की सिफारिश से आनंदीबेन पटेल ने रेणु जैन को कुलपति बनाया था। अब इस बार वे खुद भी इंदौर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि वे लगातार दो बार ग्वालियर में ही कुलपति के पद पर काबिज हैं और लगातार एक ही स्थान पर तीन बार कुलपति नहीं रह सकते इसलिए अब उनकी इंदौर आने की इच्छा है। राज्यपाल से अपने पुराने संबंधों के अलावा उन्हें अपने सीबीआई चीफ भाई के भी रसूख का फायदा मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि फिलहाल सीबीआई चीफ ऋषिकुमार शुक्ला हैं, जो कि इंदौर में भी रह चुके हैं और प्रदेश के डीजीपी भी रहे और फिर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के चीफ बन गए। संगीता शुक्ला उनकी बहन ही है। इसके अलावा इंदौर के ही डॉ. सुरेश सिलावट और उनकी पत्नी प्रो. डॉ. सुधा सिलावट भी कुलपति बनने की दौड़ में शामिल हैं। यह पहला मौका है जब पति-पत्नी दोनों का आवेदन कुलपति बनने के लिए लगा हो। यह भी उल्लेखनीय है कि डॉ. सिलावट काबिना मंत्री तुलसीराम सिलावट के छोटे भाई हैं और वर्तमान में होल्कर साइंस कॉलेज के प्राचार्य होने के साथ-साथ अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा भी हैं और पिछले दिनों ही उनका फेसबुक आईडी अकाउंट भी हैक हो गया था। अपने मंत्री भाई की बदौलत डॉ. सिलावट हमेशा चर्चा में भी रहे और महत्वपूर्ण पद भी उनको मिलते रहे। इस बार उन्होंने अपने साथ-साथ पत्नी का भी आवेदन लगा दिया कि कभी उनका मौका ना लगे तो पत्नी को कुलपति बनवा दिया जाए। वैसे भी अभी काबिना मंत्री सिलावट की शिवराज सरकार में अधिक पूछ-परख हो रही है, क्योंकि सिंधिया खेमे की बदौलत ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और श्री सिलावट सिंधिया खेमे के सबसे प्रमुख सिपहसालार हैं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति की दौड़ में वैसे तो अन्य कई नाम भी हैं, जो पिछले कई समय से कुलपति बनने के इच्छुक रहे हैं। संभवत: 8-10 दिन में नए कुलपति का ऐलान हो सकता है। लिहाजा सभी दावेदारों ने अपने-अपने राजनीतिक सम्पर्कों के बल पर जोड़-तोड़ शुरू कर दी है, जिसमें इंदौर के चेहरों से लेकर ग्वालियर, भोपाल और अन्य स्थानों के चेहरे भी शामिल हैं। अब देखना यह है कि कुलपति की दौड़ कौन जीतता है। मगर यह पहला मौका है जब इंदौर से पति और पत्नी दोनों दावेदार के रूप में नजर आ रहे हैं। वैसे तो अंतिम निर्णय राज्यपाल की पसंद पर ही रहेगा। इसके लिए एक एग्जीक्यूटिव कमेटी भी बनाई जाएगी।
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