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भाई दूज पर बहनें भाई को क्यों देती हैं नारियल, जानें क्या है पौराणिक कथा

डेस्क: भाई दूज का त्योहार भाई- बहन के अटूट रिश्ते को समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को पड़ता है. कई जगहों पर इस त्योहार को यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है. इस साल भाई दूज कल यानी 15 नवंबर को मनाया जाएगा.

कार्तिक महीने में पड़ने वाले त्योहारों और पर्व का विशेष महत्व होता है. भाई बहन को प्रेम को दर्शाने वाले त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज का यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भाई दूज शुभ दिन पर भाई को तिलक लगाने और खाना खिलाने की मान्यता है. साथ ही इस दिन तिलक लगाने के बाद भाई को नारियल भेंट करने की भी परंपरा है. हिंदू धर्म में हर किसी को त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जरूर जुड़ी होती है. ऐसे ही भाई दूज के दिन नारियल भेंट करने के पीछे भी एक कथा छिपी है.

नारियल देने की परंपरा
हिंदू धर्म की किसी भी पूजा में नारियल का एक विशेष महत्व होता है और भाई दूज के पावन पर्व पर इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है. इस दिन नारियल भेंट करने के पीछे यह भी मान्यता है कि जो भी बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उन्हें नारियल का गोला देती हैं, इससे उनके भाईयों का स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहता है, इसलिए इस दिन नारियल देने की परंपरा है. साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन नारियल देना बहुत शुभ होता है, जिससे भाई बहन के बीच का प्रेम और स्नेह सदैव बना रहता है. कहा जाता है कि नारियल देने से भाइयों की आयु लंबी होती है.


क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं. पुत्र यमराज और पुत्री यमुना. बहन यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और अपने घर आने के लिए आग्रह करती थीं, लेकिन अपने कर्मकार्य में व्यस्त रहने के कारण यमराज अपनी बहन के घर नहीं जा पाते थे. एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को बहन यमुना के आमंत्रित करने पर यमराज उनके घर पहुंचे. बहन के घर जाने की खुशी में यमराज ने एक दिन के लिए नरक के निवासियों को मुक्त कर दिया था.

यमराज के घर पहुंचने पर यमुना ने भाई का बहुत आदर सत्कार किया और स्वागत में तरह तरह के व्यंजन भी बनाएं और यमराज के मस्तक पर तिलक लगाया. जब यमराज यमुना के घर से चलने लगे तो उन्होंने बहन से मनचाहा वर मांगने के लिए कहा. बहन यमुना ने मनचाहा वर मांगने के बजाय यमराज से कहा, “भैया मुझे यह वचन दीजिए कि आप हर साल मेरे घर आया करेंगे”. यमराज ने बहन को ये वचन दिया जिसके बाद से ही भाई दूज को परंपरागत रुप से मनाया जाता है.

कैसे हुई नारियल देने की शुरुआत?
यमराज को विदा करते समय बहन यमुना ने उन्हें नारियल का गोला भेंट किया. जब यमराज ने नारियल भेंट करने के पीछे की वजह पूछी तो यमुना ने कहा, “यह नारियल आपको मेरी याद दिलाता रहेगा.” जिसके बाद से ही इस दिन नारियल देने की परंपरा है. मान्यता है कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर उनका आतिथ्य स्वीकार करेगा और जो भी बहन अपने भाई के घर बुलाकर भोजन कराएगी, उन्हें यमराज का भय नहीं सताएगा. इस दिन जो भी भाई बहन यमुना नदी में एक साथ डुबकी लगाएंगे, उन्हें यम के प्रकोप से छुटकारा भी मिलेगा. भाई दूज के दिन यमुना में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप भी धुल जाते हैं.

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