नई दिल्ली। लंबे समय से भारत-चीन (Indo-China) के बीच चल रही सीमा पर गतिरोध के बीच चीन (China) अब अपने राजदूतों को भी बदलने लगा है। दअरसल,भारत में चीन के राजदूत (ambassador of china) रहे सुन वेइदोंग का तीन साल का कार्यकाल ख़त्म होने जा रहा है। ऐसे उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि भारत में उनका ये समय ‘अविस्मरणीय’ रहा। सुन वेइदोंग ने ट्वीट करते हुए कहा, ”चीन में भारत के राजदूत (ambassador of china) के तौर काम करना मेरी ज़िंदगी का कभी न भुलाया जाना समय रहा है। पिछले तीन साल से अधिक समय के यहां की यादों को मैंने संजो रखा है। आपके समर्थन और मिली-जुली कोशिश से दोनों देशों के बीच की दोस्ती सदाबहार बनी रहेगी।”
जानकारी के लिए बता दें कि भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदोंग ने जुलाई 2010 में कामकाज संभाला था किन्तु 11 महीने बाद गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष में दोनों ओर से कई सैनिकों की मौत हो गई थी, हालांकि चीन अपने सैनिकों की मौत के बात नहीं स्वीकारी थी। इसके बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है, हालांकि सुन ने पिछले दिनों कहा था कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात अब सामान्य होने की ओर बढ़ रहे हैं।
Bid farewell to our Indian friends through a webinar. Thanks for your efforts&contributions to China-India friendship. pic.twitter.com/ZB57qDCsDQ
— Sun Weidong (@China_Amb_India) October 22, 2022
सुन वेइदोंग ने कहा था कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात का हल बातचीत और विचार-विमर्श के ज़रिये निकालना चाहता है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई थी कि भारत भी चीन के ‘प्रमुख हितों’ पर ध्यान देगा। इनमें ताइवान और तिब्बत के मामले शामिल है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी राजदूत ने भारत से ‘वन चाइना’ पॉलिसी को समर्थन देने की अपील की थी, लेकिन 2010 से भारत ने इस मामले में चीन का समर्थन नहीं किया है। माना जाता है कि लद्दाख और अरुणाचल पर अपने दावे के समर्थन में भारत ने चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ का समर्थन नहीं किया है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र मानता है। इसे वह दक्षिण तिब्बत कहता है, जबकि भारत का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अविभाज्य हिस्सा है। सुन वेइदोंग ने भारत और चीन के लोगों के बीच ज़्यादा से ज़्यादा संपर्क का समर्थन किया है।
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