इंदौर न्यूज़ (Indore News)

विशेष मिशन चलाकर प्रदेश के 1 लाख स्कूलों का करेंगे कायाकल्प

  • शिक्षा विभाग ने मिशन 1 लाख योजना की घोषणा की
  • प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्कूलों को हाईस्कूल और हायर सेकंडरी में बदला जाएगा
  • एक ही परिसर में तमाम कक्षाएं एक प्राचार्य के नेतृत्व में संचालित होंगी

इंदौर, राजेश मिश्रा। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बंद पड़े सरकारी स्कूलों के कायाकल्प के लिए शिक्षा विभाग ने एक विशेष योजना लागू करने की घोषणा की है। मिशन 1 लाख योजना के तहत 1 लाख स्कूलों का कायाकल्प किया जाएगा। योजना में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्तर के स्कूलों में बदला जाएगा। योजना के तहत एक ही परिसर में एक प्राचार्य के नेतृत्व में पहली से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन किया जाएगा।
अभी सरकारी स्कूल खुले नहीं हैं, मगर जैसे ही स्कूल खुलेंगे तो उनमें इसी सत्र के दौरान कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल भी सजे-संवरे नजर आएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने मिशन 1 लाख योजना शुरू करने की घोषणा की है। योजना के तहत प्रदेश के 1 लाख प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को हाई और हायर सेकंडरी स्तर के स्कूल में समायोजित किया जाएगा। विभाग का उद्देश्य है कि एक ही परिसर में विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध हो। पूर्व में विभाग ने मिशन 1 हजार 1 के तहत स्कूलों का कायाकल्प करते हुए उनका समायोजन एक ही स्थान पर किया था।
यह है योजना
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार इस सत्र में मिशन 1 लाख योजना शुरू की गई है। इसका खुलासा करते हुए बताया कि योजना के तहत शैक्षणिक व्यवस्थाओं में एकरूपता आएगी। हाई और हायर सेकंडरी स्कूल के अधीन प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्कूल आ जाएंगे और बड़ी कक्षा में पढ़ाने वाले छोटी कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों को भी पढ़ाएंगे। एक ही प्राचार्य के अधीन पूरे स्कूल परिसर का संचालन होगा। योजना के तहत संकुल और विकासखंड की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। समस्त तरह की व्यवस्थाओं का संचालन एक ही स्थान से होने लगेगा। शिक्षकों की जो कमी है वह भी दूर हो जाएगी।
प्राचार्यों के तमाम अधिकार मिल जाएंगे
अभी सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों की पीड़ा है कि वह पदस्थ तो स्कूलों में हैं, मगर विभाग उनको ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बनाकर अन्य तरह का काम कराता है। वहीं संकुल प्राचार्यों की दादागीरी भी उन्हें सहना पड़ती है। प्राचार्य के तौर पर वह स्कूलों पर ध्यान नहीं दे पाते, जिससे स्कूल की व्यवस्था और बच्चों का रिजल्ट भी प्रभावित होता है। योजना के तहत प्राचार्यों के तमाम तरह के अधिकार दिए जाएंगे।

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