इंदौर न्यूज़ (Indore News)

शहर के साथ अब गांवों में पानी सहेजेंगे

  • अमृत सरोवर योजना के तहत 101 गांवों में बनेंगे तालाब
  • इंदौर तहसील में 15, महू में 40, सांवेर में 21 और देपालपुर में 25 तालाबों का निर्माण

इंदौर। शहर के साथ-साथ अब जल संरक्षण के मामले में इंदौर जिले के गांवों में भी पानी सहेजने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए जिला पंचायत ने भी पंचायत स्तर पर भू-जल संरक्षण पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। इस कड़ी में अमृत सरोवर के तहत जहां नए तालाब खोदे जा रहे हैं, वहीं पुष्कर संवर्धन योजना के तहत पुराने तालाब और बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया जाना है। कुल मिलाकर इस बार लगभग 350 करोड़ लीटर से ज्यादा ऐसा पानी सहेजने की तैयारी है, जो कि बरसात में बहकर निकल जाता है। इस पानी के माध्यम से भू-जल स्तर बढ़ेगा, वहीं ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा।

महू को छोड़कर इंदौर, सांवेर और देपालपुर भू-जल को लेकर रेड जोन में हंै। सबसे ज्यादा खराब हालत सांवेर की है, जहां भू-जल स्तर सबसे नीचे है। इसीलिए भारत सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत जिले के 101 गांवों में अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इसका कम से कम क्षेत्रफल एक हेक्टेयर (ढाई एकड़) है। वहीं क्षमता न्यूनतम 10 हजार क्यूबिक मीटर। तकरीबन 1 करोड़ लीटर पानी। इंदौर तहसील में 15, महू में 40, सांवेर में 21 और देपालपुर में 25 तालाब बनना हैं। प्रारंभिक काम 15 जून तक पूरा किया जाना है, ताकि बारिश का पानी इनमें सहेजा जा सके। इसी तरह पुष्कर धरोहर योजना के तहत जिले की 450 से अधिक जल संरचनाओं को चिह्नित किया गया है, जहां पाल के टूटने, रिटेनिंग वॉल में रिसाव या अन्य कारणों से जमा पानी बह जाता है। इन्हें दुरुस्त किया जाएगा, ताकि पानी बना रहे। चेकडेम, स्टापडेम, पुरानी बावड़ियां भी चिह्नित की हैं, जिनकी सफाई करके उन्हें रिचार्ज किया जाएगा। जिला पंचायत ने राजस्व विभाग को चिट्ठी लिखी थी और सरकारी जमीनों से कब्जे हटाने के लिए कहा था, जहां तालाब बनना हैं। बताया जा रहा है कि कई ऐसी सरकारी जमीनें चिह्नित हैं, जहां पानी का ढलान तो है, लेकिन कब्जों के कारण पानी का फ्लो प्रभावित होगा।


वन भूमि में समस्या ज्यादा
महू में 40 तालाब बनना हैं। इनमें से 32 वन भूमि पर हैं। वन विभाग से तालाब बनाने की अनुमति लेना बहुत मुश्किलभरा काम है। इसीलिए जहां-जहां अनुमति मिली है, वहां-वहां तालाब का काम शुरू कर दिया है।

अमृत सरोवर योजना के लाभ
सरकारी जमीनें कब्जा होने से बचेंगी। उनका तालाब के रूप में सार्वजनिक उपयोग होगा। नालों के जरिए बहने वाला बरसाती पानी बड़ी मात्रा में सहेजा जाएगा। तालाब बनने से ग्रामीण क्षेत्रों में भू-जल स्तर बढ़ेगा। तालाबों में भरा पानी भले सिंचाई में इस्तेमाल न हो, लेकिन मवेशियों के पीने में जरूर काम आएगा। पंचायत इन तालाबों में मछलीपालन की अनुमति देकर रोजगार भी पैदा कर सकती है।

तालाबों की देखरेख स्थानीय किसान करेंगे
अमृत सरोवर योजना के लिए हर जिले में 75 तालाब बनना हैं, लेकिन हमने लक्ष्य रखा है 101 तालाबों के निर्माण का। योजना पर तकरीबन 12 करोड़ खर्च होंगे। निर्माण पंचायत स्तर पर होगा। गांव के किसान ही इन तालाबों का उपयोग करेंगे और वही इसे मेंटेन भी रखेंगे। वंदना शर्मा, सीईओ, जिला पंचायत

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