आचंलिक

तिरंगा बनाकर आर्थिक संकट से घिर गए महिला स्व सहायता समूह

  • अटका हुआ है एक लाख से अधिक झंडों का भुगतान
  • 27 लाख की उधारी पाने के लिए जनपदों को लिखे पत्र

कपिल सूर्यवंशी
सीहोर। आम लोगों में भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज के प्रति आदर और सम्मान का भाव जागृत करने के उददेश्य से हर घर तिरंगा अभियान अगस्त माह में चलाया गया। तेरह से पन्द्रह अगस्त तक चलाये गए इस अभियान में  गांव शहर सभी तिरंगा मय हो गए थे, तिरंगा बनाने की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों द्वारा निभाई गई थी, कई विभाग और पंचायतों ने समूहों से बड़ी संख्या में तिरंगे झंडे उधारी में खरीदा थे।
अभियान तो हो गया हर घर पर झंडा भी फहरा दिया गया, किन्तु तीन महीने बीत जाने के बाद भी महिला स्व सहायता समूहों को पंचायतों ने झंडों की राशि का भुगतान नहीं किया है। अब ऐसे में झंडे की राशि पाने के लिए स्व सहायता समूह की महिलाएं परेशान हो रही है। राशि अटकने से उनकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा गई है।

नगद में खरीदा था झंडे का कपड़ा
गौर तलब है कि  जिले में इस अभियान के तहत तिरंगा झंडा बनाने का काम महिला स्व सहायता समूहों के जिम्मे किया गया था, इसमें महिला स्व सहायता समूहों ने गुजरात के सूरत शहर से नगद राशि देकर झंडे का कपड़ा खरीदा था, जिले भर के 28 महिला स्व सहायता समूहों की करीब 125 महिलाओं ने मिलकर करीब 90 हजार झंडे बनाए थे, और 94 हजार झंडे संस्कृति विभाग से बेचने के लिए मिले थे। इसमें 1 लाख 5 हजार झंडों का भुगतान अटका हुआ है।


समूहों को हो रहा नुकसान
महिला स्व सहायता समूहों को तिरंगा झंडा के 16 लाख 33 हजार रूपये ही प्राप्त हुए हैं। जबकि स्व सहायता समूहों की 27 लाख रूपए की राशि बकाया है। सैकड़ों पंचायतों एवं कई शासकीय विभागों से लेना है, अब महिला स्व सहायता समूहों को यह पैसा मिल जाता तो वह कारोबार  को आगे बढ़ा सकते थे। लेकिन भुगतान नहीं होने के कारण से स्व सहायता समूहों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। इसके चलते महिला स्व सहायता समूहों के संचालकों ने जनपदों के अधिकारियों को भुगतान कराने के लिए पत्र लिखे हैं।

कलेक्टर ने दिए हैं निर्देश
बैठक में कलेक्टर ने सभी विभागों को झंडे की राशि का भुगतान करने के निर्देश दिये हैं। पांच दिसम्बर से पहले सभी से राशि भुगतान करने के निर्देश दिये गए है।
दिनेश बरफा डीपीएम, एनआरएलएम

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