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हवा में उड़ता शाही महल सा होगा World का सबसे बड़ा Airship

ब्रिटेन। दुनिया का सबसे बड़ा एयरशिप  (airship) को बनाने का काम ब्रिटेन में शुरू हो गया है। इस एयरशिप (airship) को ब्रिटिश कंपनी हाइब्रिड एयर व्हीकल्स (British company Hybrid Air Vehicles) बना रही है। इसके जरिए बड़ी संख्या में लोग बिना पर्यावरण को प्रदूषित किए एक जगह से दूसरी जगह तक यात्रा कर सकेंगे। इस एयरशिप को एयरलैंडर 10 नाम दिया गया है। कंपनी के मुताबिक एयरशिप का आकार एक बैलून की तरह होती है, जो एयरक्राफ्ट से हल्का होने के साथ ईंधन की कम खपत करती है। इसमें अपनी शक्ति से हवा में नेविगेट करने की क्षमता होती है।



हाइब्रिड एयर व्हीकल्स कंपनी ने हाल में ही अपनी एयरशिप के अंदर की कॉन्सेप्ट तस्वीरें जारी की हैं। जिसमें विमान की इंटीरियर, डिजाइन और खूबसूरती को दिखाया गया है। एयरलैंडर 10 एयरशिप 299 फीट (91 मीटर) लंबी और 112 फीट (34 मीटर) चौड़ी है। इसमें एक समय में 100 लोग सवार हो सकते हैं।
इस एयरशिप में छतों और फर्श के कुछ हिस्से को पारदर्शी बनाया गया है। जिससे इसमें बैठने वाले यात्री आसमान और जमीन का अद्भुत नजारा देख सकेंगे। इस तरह की जगहों को एयरलाइंस की बिजनेस क्लास की तरह ट्रीट किया जाएगा। जिसका लाभ लेने के लिए यात्रियों को ज्यादा पैसा देना होगा। कंपनी का दावा है कि उसका एयरशिप साल 2025 तक सर्विस में शामिल हो जाएगा। ब्रिटिश कंपनी का प्लान कम दूरी की कई लोकप्रिय हवाई मार्गों पर ऐसे एयरशिप को चलाने का है। कंपनी का दावा है कि इससे 90 फीसदी से ज्यादा कॉर्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा।

हाइब्रिड एयर व्हीकल्स (hybrid air vehicles) के मुख्य तकनीकी अधिकारी माइक डरहम का कहना है कि इसका पहला लाभ यह है कि हम कार्बन उत्सर्जन को बड़ी मात्रा में कम कर सकते हैं। इसके अलावा जब आप हवा में होंगे तो यात्रा की गुणवत्ता इतनी बेहतर होगी कि आप ज्यादा समय तक उड़ान भरना चाहेंगे। डरहम ने कहा कि एयरलैंडर एक यात्री विमान की तुलना में बहुत अधिक ग्रीन एनर्दी को बढ़ाने वाला है। क्योंकि इसे हवा में उड़ाने के लिए हीलियम नाम के हल्के गैस की जरूरत होती है। इसके विपरीत हवाई जहाज को अपने इंजन के जरिए काफी ऊर्जा पैदा करनी पड़ती है, जिससे उनके पंखों को पर्याप्त लिफ्ट मिल सके।



एक बार जब एयरशिप हवा में उड़ जाता है तो उसे आगे बढ़ाने के लिए इसे आगे बढ़ाने के लिए विमान के प्रत्येक कोने पर चार प्रोपेलर काम करने लगते हैं। इनसे पैदा हुई ऊर्जा से विमान तेजी से आगे बढ़ता है। उन्होंने बताया कि पहले जेनरेशन में दो प्रोपेलर मिट्टी के तेल से चलने वाले इंजनों पर आधारित होंगे। बाकी के दो प्रोपेलर को इलेक्ट्रिक मोटर्स से संचालित किए जाएंगे। 2030 तक यह ब्रिटिश कंपनी एयरलैंडर का पूरी तरह से इलेक्ट्रिक संस्करण लॉन्च करने की प्लानिंग कर रही है।
कंपनी ने बताया कि हाइड्रोजन गैस हल्का और ज्वलनशील होता है। इसलिए, इसे एयरशिप के पिछले हिस्से में क्रायोजेनिक टैंकर्स में रखा जाएगा। वहीं से इस गैस को ईंधन के लिए पंप किया जाएगा, जो इंजन में पहुंचकर ऑक्सीजन से क्रिया कर ऊर्जा पैदा करेगी। इस एयरशिप की टॉप स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। जबकि आमतौर पर इसे 100 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चलाया जाएगा। इस एयरशिप से 60 किलोमीटर से लेकर 400 किलोमीटर तक की यात्रा की जा सकती है। यह जहाज बहुत ही कम जगह में लैंडिंग कर सकता है।

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