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रोहतक में 3 को दी गई देसी कोरोना वैक्सीन

रोहतक। कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए दुनियाभर में 140 से ज्‍यादा वैक्‍सीन बन रही हैं। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, कई वैक्‍सीन अब फेज 2 ट्रायल से आगे बढ़ चुकी हैं। ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी, मॉडर्ना, एस्‍ट्रा-जेनेका, कैनसिनो, साइनोफार्म (समेत आधा दर्जन वैक्‍सीन्‍स ऐडवांस्‍ड फेज में हैं। भारत में भी दो वैक्‍सीन का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। इस बीच दुनिया के आठ देश एक साथ आए हैं कि अगर कोई वैक्‍सीन डेवलप हो तो उसका एक्‍सेस पूरी दुनिया को मिला।
हरियाणा के हेल्‍थ मिनिस्‍टर अनिल विज ने एक अच्‍छी खबर दी है। आईसीएमआर-भारत बायोटेक की बनाई कोरोना वैक्‍सीन COVAXIN का पीजीआई रोहतक में ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। आज तीन वॉलंटिअर्स को एनरोल किया गया था। सब पर वैक्‍सीन का सही असर हुआ है, कोई साइड इफेक्‍ट देखने को नहीं मिला। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – नैशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी और भारत बायोटेक ने मिलकर Covaxin नाम से वैक्‍सीन बनाई है।
कनाडा की द बायोफार्मा कंपनी ने SARS-COV-2 के जीन सीक्‍वेंस को डेवलप करने के बाद उसका एक प्‍लांट-डिराइव्‍ड-लाइक पार्टिकल बना लिया। इस वैक्‍सीन की पहली डोज हेल्‍दी वॉलंटिअर्स को दी जा चुकी है।
जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज पटेल का मानना है कि अगले साल की शुरुआत तक उनकी कपंनी की वैक्‍सीन लॉन्‍च हो जाएगी। पिछले हफ्ते ही वैक्‍सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हुआ है। पटेल ने कहा कि फेज 1 और 2 की स्‍टडीज तीन महीने में खत्‍म हो जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि उनके पास बड़े पैमाने पर वैक्‍सीन बनाने की क्षमता है।
जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा है कि वह अपनी कोरोना वैक्‍सीन का लेट-स्‍टेज ह्यूमन ट्रायल सिंतबर से शुरू करेगी। कंपनी अगले हफ्ते से फेज 1 ट्रायल शुरू करने की बात कही है। इसमें 1,000 से ज्‍यादा वॉलंटिअर्स को वैक्‍सीन की डोज दी जाएगी। इसके अलावा नीदरलैंड्स, स्‍पेन और जर्मनी में भी इस वैक्‍सीन पर स्‍टडी करने की प्‍लानिंग है।
चीन की एक कंपनी ने कथित तौर पर एक एक्‍सपेरिमेंटल कोविड-19 वैक्‍सीन अपने कर्मचारियों को दे दी। वह भी जब, जब उसे ह्यूमन ट्रायल्‍स की परमिशन नहीं मिली थी। इसी से पता चलता है कि दुनियाभर में सबसे पहले वैक्‍सीन डेवलप करने की कितनी खतरनाक रेस चल रही है।
ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का मानना है कि उनकी वैक्‍सीन कोरोना वायरस के प्रति ‘डबल प्रोटेक्‍शन’ देती है। वॉलंटिअर्स के ब्‍लड सैंपल्‍स की जांच पर पता चला कि उनके शरीर में न सिर्फ ऐंटीबॉडीज बनीं, बल्कि T सेल्‍स भी तैयार हुईं। ये बात अहम इसलिए हैं क्‍योंकि कई स्‍टडीज बताती हैं कि ऐंटीबॉडीज तो कुछ महीनों में खत्‍म होने लगती हैं लेकिन T सेल्‍स सालों तक सर्कुलेशन में रहती हैं। इस बारे में और जानकारी सोमवार को मिलेगी जब ‘द लैंसेट’ में वैक्‍सीन के ह्यूमन ट्रायल का शुरुआती डेटा छपेगा।

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