सूरजपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सूरजपुर जिले (Surajpur district) के प्रतापपुर ब्लॉक के जगन्नाथपुर डुबकापारा (Jagannathpur Dubkapara) में जमीन विवाद को लेकर तीन लोगों की हत्या कर दी गई. जानकारी के मुताबिक, 20 से 30 लोगों ने कुल्हाड़ी, लाठी-डंडे से एक परिवार पर हमला कर दिया. जिसमें 2 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं एक गंभीर रूप से घायल हो गया था. घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जिसके बाद उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
दरअसल पूरा मामला जमीन विवाद को लेकर है. डुबकापारा में माधे टोप्पो के परिवार की 7 एकड़ जमीन है. जिसके बंटवारे को लेकर उसके भाई से विवाद चल रहा था. इसी बीच आज फसल लगाने को लेकर दोनों भाइयों और उनके परिवार के बीच मारपीट हुई. जानकारी के मुताबिक, विवाद इतना बढ़ गया कि माधे टोप्पो के भाई ने कुल्हाड़ी से हमला कर दिया. जिसमें उसकी पत्नी और बेटे की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं माधे टोप्पो गंभीर रूप से घायल हो गया था जिसने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया. मामले को लेकर खड़गवां पुलिस जांच में जुटी गई है.
थाना प्रतापपुर के खड़गावा चौकी अंतर्गत केरता पंचायत के डूबका पारा में दो परिवारों में जमीन विवाद में खूनी संघर्ष देखने को मिला. इस घटना में एक ही परिवार के तीन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. मृतकों में बसंती टोप्पो (53), नरेश टोप्पो (31), और माघे टोप्पो (60) शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, मृतक परिवार ने दो महीने पहले जिला सत्र न्यायालय और एसडीएम कोर्ट में साढ़े सात एकड़ जमीन का केस जीता था. शुक्रवार को मृतक परिवार खेत की जुताई करने पहुंचा था. इसी दौरान आरोपी, जो करीब 30-40 की संख्या में बताए जा रहे हैं, वहां पहुंचे और परिवार के साथ बेरहमी से मारपीट कर उनकी हत्या कर दी. घटना में आरोपी जगरनाथपुर और केरता गांव के निवासी बताए जा रहे हैं.
इस हत्याकांड के बाद से एक बार फिर पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. भरी संख्या में लोग पहुंचकर दिन दहाड़े खेत में 3 लोगों पर जानलेवा हमला कर हत्या कर देते हैं. जिसकी भावनक पुलिस को घंटों बाद लगती है. पुलिस यदि सही समय पर घटना स्थल पहुंचती तो शायद मृतकों को बचाया जा सकता था. सवाल यह भी है कि भरी भीड़ में पहुंचे लोग क्या गुंडे, बदमाश या हत्यारे थे.
इस हत्याकांड के बाद से एक बार फिर पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. भरी संख्या में लोग पहुंचकर दिन दहाड़े खेत में 3 लोगों पर जानलेवा हमला कर हत्या कर देते हैं. जिसकी भावनक पुलिस को घंटों बाद लगती है. पुलिस यदि सही समय पर घटना स्थल पहुंचती तो शायद मृतकों को बचाया जा सकता था. सवाल यह भी है कि भरी भीड़ में पहुंचे लोग क्या गुंडे, बदमाश या हत्यारे थे.
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