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अफगानिस्‍तान में ‘आतंकी राज’ के 30 दिन पूरे, जानें कितना बदल गया अफगान

नई दिल्ली। अफगानिस्‍तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे को एक महीना हो गया है। 15 अगस्त को तालिबान (Taliban) ने अफगान राजधानी काबुल पर नियंत्रण हासिल (Kabul) कर पूरी दुनिया को झटका दिया था। उससे पहले माना जा रहा था कि तालिबान इतनी तेजी से काबुल में नहीं घुस पाएगा। पर इसी दिन राष्ट्रपति अशरफ गनी (President Ashraf Ghani) के देश छोड़ते ही अफगान सैनिकों (Afghan Army) ने हथियार डाल दिए। अब तालिबान बाकायदा सरकार बना चुका है और पूरे देश में विवादित शरीया कानून लागू (sharia law enforced) हो चुका है। आइए जानते हैं 30 दिन में अफगानिस्तान में हुए 15 अहम बदलावों के बारे में-


महिलाओं की तस्वीरों पर कालिख
तालिबान ने काबुल में प्रवेश के बाद ही सभी विज्ञापनों में मौजूद महिलाओं की तस्वीरों पर कालिख पोतनी शुरू कर दी। यह भी घोषणा की गई कि महिलाएं ऐसे किसी क्षेत्र में काम नहीं करेंगी, जिसमें उनका चेहरा अथवा शरीर का कोई भी अंग दिखे।

संगीत बंद, धार्मिक संदेश होने लगे प्रसारित
अफगानिस्तान के सरकारी टीवी व रेडियो पर इस्लामी संदेशों को प्रसारित किया जाना शुरू हो गया। तालिबान संगीत को ध्यान भटकाने वाली सामग्री बताता आया है इसलिए अब संगीत सुनना प्रतिबंधित कर दिया गया है। 30 अगस्त को एक स्थानीय टीवी चैनल में हथियार बंद तालिबान लड़ाकों से घिरे एंकर के समाचार पढ़ने के दृश्यों ने यहां मीडिया की स्थिति बता दी थी।

अफगान नागरिकों के देश छोड़ने पर पाबंदी
24 अगस्त को तालिबान ने घोषणा की कि अब वह किसी अफगान नागरिक को देश नहीं छोड़ने देगा। हालांकि, इससे पहले उसने कहा था कि जिनके पास वैध दस्तावेज हैं, वे देश छोड़ सकते हैं। देश न छोड़ने का फरमान अब तक लागू है, जिसके उल्लंघन पर तालिबान ने शरीया कानून से मुताबिक सजा का ऐलान किया है।

तालिबान विरोधी लोग पंजशीर पहुंचे
तालिबान ने पंजशीर को छोड़कर बाकी पूरे देश पर कब्जा कर लिया। इसे देखते हुए तालिबान विरोधी नेताओं, पूर्व उपराष्ट्रपति साहेल और न झुकने वाले सैनिकों ने पंजशीर का रुख किया। यह भी बड़ी वजह है कि पंजशीर के स्थानीय लड़ाकों की ताकत और बढ़ गई, जिससे तालिबान की चुनौती भी बढ़ी है।

राजनीति में औरतों को भागीदारी नहीं
तालिबान ने अपनी सरकार में एक भी महिला को शामिल नहीं किया। 10 सितंबर को तालिबान प्रवक्ता ने विवादित टिप्पणी की कि महिलाओं में मंत्री बनने की क्षमता नहीं है, उनका काम बच्चे पैदा करना है। इससे संकेत मिल गए कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी महिलाएं तालिबान सरकार का हिस्सा नहीं बनेंगी।

महिलाओं के खेलने पर पाबंदी
तालिबान का कहना है कि महिलाएं ऐसा कोई काम नहीं कर सकतीं, जिसमें उनका शरीर प्रदर्शित होता हो। इसलिए उनके क्रिकेट सहित कुछ अन्य खेल खेलने पर पाबंदी रहेगी। इस घोषणा से क्रिकेट व दूसरे खेलों में खेलती आ रहीं लड़कियों के करियर को झटका लगा है।

भागीदारी की मांग को लेकर प्रदर्शन
कट्टर माहौल में भी अफगान महिलाएं साहस का परिचय देते हुए लगातार छोटे-बड़े प्रदर्शन कर रही हैं। महिलाओं की दो मुख्य मांगें हैं कि उन्हें बराबरी से पढ़ाई करने दी जाए और तालिबान अपनी सरकार में उन्हें भागीदारी दे। ये आंदोलन हेरात, काबुल आदि प्रांतों में जारी हैं।

बिना अनुमति सरकार विरोधी प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे
लगातार हो रहे प्रदर्शनों के चलते तालिबान सरकार ने फरमान जारी किया है कि यहां कोई भी प्रदर्शन करने से पहले स्थानीय प्रशासन की अनुमति लेनी होगी। किस तरह के नारे लगेंगे या कौन से प्लेकार्ड लेकर लोग विरोध करेंगे, इसकी जानकारी देनी होगी। इतना ही नहीं, यह भी बताना होगा कि कौन नारे लगाएगा।

बुर्के को लेकर टि्वटर पर खोला मोर्चा
बुर्के की अनिवार्यता के विरोध में अफगान महिलाओं ने ट्विटर पर मोर्चा खोला। अफगानिस्तान में रहने वाली और कई निर्वासित महिलाओं तथा नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने मेकअप में ली गई अपनी तस्वीरें अपलोड कीं।

लोगों की धन निकासी पर सीमा लागू
काबुल पर कब्जे के कुछ दिन तक बैंक बंद रहे और फिर जब बैंक खोले गए तो लंबी कतारें लग गईं। ऐसे में तालिबान ने धन निकासी की साप्ताहिक सीमा तय कर दी, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं।

सरकारी कर्मचारियों से काम पर लौटने की अपील
तालिबान सरकार ने ऐलान किया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं समेत सभी सरकारी कर्मचारी काम पर लौट आएं। हालांकि, इस आदेश में दूसरे क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को शामिल नहीं किया गया।

तुर्की और पाक ने सीमाएं सील कीं
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की स्थापना के बाद पाकिस्तान और तुर्की ने अपनी-अपनी सीमाएं बंद कर लीं, ताकि तालिबान के डर से देश छोड़ने की जद्दोजहद में जुटे अफगान नागरिक उनके मुल्क न आ सकें।

हथियार न रखने का आदेश
तालिबान ने सरकार बनाते ही घोषणा की कि सभी आम नागरिक अपने हथियारों को सरकार को लौटा दें। साथ ही यह भी कहा कि आदेश की समयसीमा तक हथियार लौटाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

पंजशीर अब भी अजेय
काबुल के नजदीक पंजशीर प्रांत पर तीन सितंबर को तालिबान ने कब्जे का दावा किया था। हालांकि, पंजशीर के लड़ाकों ने इससे इंकार किया था। कई अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने बुधवार को कहा कि अब भी इस इलाके में पंजशीर के लड़ाके तालिबान को टक्कर दे रहे हैं।

अर्थव्यवस्था बंद होने से भयंकर बेरोजगारी
तमाम अंतरराष्ट्रीय मदद रुक जाने से अफगानिस्तान भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आम नागरिक नई सरकार के कड़े नियम-कायदों के कारण बेहद डरे हुए हैं, जिसका असर उनके व्यवसाय पर पड़ रहा है। निजी कंपनियां अब तक पूरी तरह से संचालित नहीं हो रही हैं।

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