भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

भोपाल में लंपी वायरस के 32 केस

  • शहरी इलाके में मिले सभी संक्रमित गोवंश, इनमें 11 आवारा घूमते हुए मिले; 3 की हालत गंभीर

भोपाल। राजधानी भोपाल में लंपी वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। पिछले 7 दिन में शहर के अलग-अलग इलाकों से लंपी वायरस के कुल 32 गोवंश मिल चुके हैं। इनमें से 11 गोवंश सड़क पर आवारा घूमते हुए मिले हैं। जिन्हें अब पकड़कर जहांगीराबाद के पशु आश्रय स्थल में रखा गया है, जबकि बाकी गोवंश पशु मालिकों के पास ही है। संक्रमित गोवंश को स्वस्थ्य पशुओं से दूर रखने को कहा गया है। ताकि, लंपी का संक्रमण न फैले। दो से तीन संक्रमित गोवंश की हालत गंभीर है। पशु चिकित्सा विभाग के अफसरों का कहना है कि सात दिन तक संक्रमित पशुओं को क्वारेंटाइन में रखा जाता है। इसके बाद वे रिकवर हो जाते हैं।

शहर के इन इलाकों में मिले संक्रमित गोवंश
सभी संक्रमित गोवंश शहरी इलाके से मिले हैं। इनमें सड़कों पर घूमने और पालतू गोवंश दोनों तरह के हैं। पशु चिकित्सा सेवा के उप संचालक डॉ. अजय रामटेके ने बताया कि, सभी 32 गोवंश शहरी क्षेत्र से हैं। गांधीनगर, छोला, करोंद, माता मंदिर, हथाईखेड़ा, भदभदा समेत कई जगहों से संक्रमित गोवंश ट्रेस किए गए हैं। जिले के ग्रामीण इलाके या फिर बैरसिया में अभी एक भी केस नहीं मिला है।


संक्रमित गोवंश दो तरह से क्वारेंटाइन
शहर की सड़कों पर आवारा घूमने वाले संक्रमित 11 गोवंश को जहांगीराबाद स्थित आसरा पशु आश्रय स्थल में क्वारेंटाइन रखा गया है। इनमें 6 बछड़े शामिल हैं। आसरा पशु आश्रय स्थल की नोडल अधिकारी डॉ. सुनीला सरन ने बताया, नगर निगम ने लंपी वायरस से संक्रमित 11 गोवंश को इलाज के लिए भर्ती कराया है। इन संक्रमित गोवंश को सामान्य पशुओं से अलग रखा गया है। इन्हें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-बायटिक दवाइयां दी जा रही हैं। पालतू गोवंश की सुरक्षा और देखभाल समेत इलाज खुद पशु पालक करते हैं। इनके 21 गोवंश में लंपी वायरस का असर देखने को मिला है। उप संचालक डॉ. रामटेके ने बताया कि, पालतू संक्रमित पशुओं को मालिकों के पास ही क्वारेंटाइन में रखा गया है। दूसरी ओर शहर में गोवंश को टीके भी लगाए जा रहे हैं।

लैब में होती है टेस्टिंग
पशुओं में लंपी वायरस की जांच को लेकर डॉ. सरन ने बताया, पशुओं के ब्लड सैंपल को लैब में भेजा जाता है। 2 से 3 दिन में सैंपल की रिपोर्ट आती है। जिन पशुओं की रिपोर्ट पॉजिटिव है उन्हें क्वारेंटाइन करके इलाज शुरू कर दिया जाता है। डॉ. सरन ने बताया कि, लंपी वायरस पशुओं में एक-दूसरे से संपर्क में आने से फैलता है। यही कारण है कि संक्रमित और स्वस्थ्य गोवंश को अलग-अलग रखा जाता है।

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