इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

40 करोड़ की चिटफंड कम्पनी के ठगोरे चढ़े ईओडब्ल्यू के हत्थे

  • रियल इस्टेट की कम्पनियां बनाकर छोटे निवेशकों को लगाया चूना…
  • इंदौर सहित प्रदेशभर में फैलाया ठगी का नेटवर्क

इंदौर। एक तरफ गृह निर्माण संस्थाओं पर कब्जा कर भूमाफियाओं (Land Mafia) ने पीडि़तों को ठगा, वहीं दूसरी तरफ रियल इस्टेट की कई बोगस कम्पनियों ने भी चूना लगाया। इन्हीं में बीएनपी रियल इस्टेट और एलाइड लिमिटेड (Laid Limited) भी शामिल रही, जिसने इंदौर (Indore)  सहित मंदसौर, उज्जैन, बड़वानी, देवास (Mandsaur, Ujjain, Barwani, Dewas) और अन्य जगह कागजी रियल इस्टेट प्रोजेक्टों के जरिए छोटे निवेशकों को चूना लगाया। लुभावने भूखंड और अन्य प्रोजेक्टों की योजनाओं के जरिए 40 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी इस चिटफंड कम्पनी (Chit Funds) से जुड़े सीएमडी, डायरेक्टरों (CMD, Directors) और अन्य ने की। पिछले दिनों इसके कर्ताधर्ताओं को गिरफ्तार (Arrested) भी किया था और कल ईओडब्ल्यू, यानी राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई इंदौर ने कम्पनी के कर्ताधर्ताओं को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की। आरोप है कि पिछले 14 साल से ये ठगोरी कम्पनियां चूना लगा रही हैं। सम्पत्तियों के भावों में इजाफा होने पर उन्हें विक्रय कर शेयर होल्डरों को लाभांश देना था, जो नहीं दिया।



इंदौर (Indore) में चिटफंड कम्पनियों (Chit Funds) और कई अन्य निजी रियल इस्टेट कम्पनियों ने भी ठगी की है। इनमें कई कम्पनियां बाहर की हैं, जिनके दफ्तर खोलकर लोगों को विभिन्न योजनाओं के नाम पर चूना लगाया गया। ईओडब्ल्यू इंदौर इकाई के पुलिस अधीक्षक धनंजय शाह के मुताबिक चिटफंड कम्पनी बीएनपी रियल इस्टेट एंड एलाइट लिमिटेड ने छोटे-छोटे निवेशकों से पूंजी प्रिफ्रेंस शेयर एवं इक्विटी शेयर से एकत्र कर रियल इस्टेट व्यवसाय में लगाने का कारोबार शुरू किया। एक अवधि पश्चात उक्त सम्पत्तियों के भाव में वृद्धि होने पर उचित मूल्य में उन्हें विक्रय कर शेयर होल्डरों को उनके लाभांश का वितरण करना था। कम्पनी के संचालक संजीवकुमार सूर्यवंशी, कुंंवरसिंह, उमेश नरवरिया, रवीन्द्रसिंह, पद्मसिंह नरवरिया, महेश पालीवाल, मुनेन्द्र कुमार, राघवेन्द्रसिंह नरवरिया, मुकेश शर्मा, देवेन्द्र शर्मा और संतोष शर्मा रहे हैं। कम्पनी का कार्यालय एम-07, त्रिशूल अपार्टमेंट, 5 सांघी कालोनी, एबी रोड इंदौर पर था। इन संचालकों ने कम्पनी के पंजीयन वर्ष 2007 से लेकर लगातार निवेशकों का धन बढ़ाकर दोगुना करने का प्रलोभन दिया और एफडीआर और स्कीमों के तहत एकमुश्त मासिक, त्रैमासिक, अद्धवार्षिक या वार्षिक किस्तों के माध्यम से इंदौर, देवास, उज्जैन से लेकर अन्य राज्यों के निवेशकों से 4 करोड़ से अधिक की राशि जमा करवा ली और निवेश प्लान के मुताबिक फिर राशि का भुगतान नहीं किया और न कोई भूखंड आवंटित किए गए। लिहाजा 11 संचालकों के खिलाफ धारा 420, 409, 120बी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किए गए। आरोपियों को गिरफ्तार करने में उपनिरीक्षक मनोहर बड़ोदिया, आर. राकेश जटिया, प्रदीप मिश्रा आदि का योगदान रहा।

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