इंदौर न्यूज़ (Indore News)

शहर में 5 नए STP बनेंगे

  • – अब तक 12 एसटीपी बन चुके हैं
  • – सिरपुर क्षेत्र में बन रहा है 13वां एसटीपी

इंदौर। नगर निगम ने करोड़ों की लागत से शहर में 12 एसटीपी बनाए थे, जो शुरू भी कर दिए गए हैं। इनमें हर रोज 200 से ज्यादा एमएलडी पानी साफ किया जा रहा है। एक माह पहले सिरपुर तालाब क्षेत्र में 13वें एसटीपी का काम शुरू किया गया था। इसके साथ ही निगम ने पांच और नए स्थान ढूंढेे हैं, जहां एसटीपी बनाए जाएंगे।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के तहत सबसे पहले विभिन्न नालों और नदियों में गिरने वाले 270 से ज्यादा आउटफाल्स बंद करने की मशक्कत तीन सालों तक चलती रही। इसके लिए कई जगह नई लाइन बिछाई गई तो कई जगह लाइनों में बदलाव किया गया। एसटीपी का पानी साफ कर कान्ह नदी में छोड़ा जाता है, साथ ही इसके उपयोग के लिए अलग-अलग हाइड्रेेंट भी बनाए गए हैं, जहां से लोग नि:शुल्क पानी ले जा सकते हैं और साथ ही कई क्षेत्रों में ट्रीट किया पानी सप्लाय करने के लिए लाइनें बिछाई गई हैं। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक अब शहर में 13 एसटीपी के बाद कुछ नए अन्य स्थानों पर भी नए प्रोजेक्ट में एसटीपी बनाने का मामला शामिल किया गया है और इसकी योजना बनाकर मंजूरी के लिए भेजी जा रही है।


इन क्षेत्रों में बनेंगे नए एसटीपी
निगम अधिकारियों के मुताबिक लक्ष्मीबाई प्रतिमा स्थल के समीप, गारीपीपल्या से शकरखेड़ी के बीच, कनाडिय़ा क्षेत्र में, छोटा बांगड़दा और एक अन्य स्थान पर एसटीपी बनाए जाना है। इनमें अलग-अलग क्षमता वाले एसटीपी रहेंगे। हालांकि सबसे बड़े एसटीपी देवनगर, सीपी शेखर नगर, कबीटखेड़ी मेें बनाए गए हैं, जहां प्रतिदिन कई एमएलडी सीवरेज का पानी साफ होता है। वर्तमान में करीब 200 एमएलडी से ज्यादा पानी ट्रीट कर अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग के लिए भेजा जा रहा है, वहीं उद्यानों के लिए भी अलग से लाइन बिछाई गई है।

औद्योगिक संस्थानों को भी चेतावनी, खुद के एसटीपी बनाएं
सांवेर रोड से लेकर पालदा और कई अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियों का दूषित पानी नदियों, नालों के साथ-साथ ड्रेनेज लाइनों में बहाया जाता है, जिसके कारण तमाम दिक्कतें आती हैं। इसी के चलते पिछले दिनों प्रदूषण निवारण बोर्ड और निगम अफसरों ने तमाम फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया था और उनके संचालकों को फैक्ट्रियों का दूषित पानी नदी-नालों में नहीं छोडऩे के निर्देश दिए थे, साथ ही यह भी कहा गया था कि वे अपने स्तर पर खुद के एसटीपी बनाएं, ताकि वहां ऐसे पानी का निपटारा हो सके।

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