- बैंक खाते न होने से 50 बंदियों का अटक रहा मेहनताना
सीहोर। जिला जेल में सश्रम कारावास के बंदियों के जीवन में बदलाव के प्रयास जेल प्रशासन द्वारा किए जाते हैं, जिनमें उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए तमाम तरह के प्रशिक्षण दिये जाते हैं, इससे उनकी सजा पूरी होने के बाद वह जीविका उपार्जन कर सकें, वहीं जेल में सश्रम कारावास काट रहे बंदियों को उनके द्वारा किये गए श्रम का मेहनताना भी मिलता है, लेकिन आधार कार्ड के फेर में उनका मेहनताना अटक रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिला जेल सीहोर में सजाया ता कैदी जेल में अलग अलग कार्य कराये जाते हैं। जैसे सफाई, पुताई सर्किल ड्यूटी रसोईये का काम करते हैं। कैदियों को काम के बदले में 72 रूपये प्रतिदिन पारिश्रमिक के रूप में मिलता है। जिला जेल में इस समय करीब 400 कैदी हैं, जिनमें से 90 कैदी सजाया ता हैं। इनमें से सिर्फ 40 बंदियों के बैंक एकाउन्ट हैं, वहीं 50 ऐसे कैदी हैं, जिनके बैंक खाते नहीं है। आधार कार्ड नहीं होने के कारण से इनके बैंकों में खाते नहीं खुल पा रहे हैं। खाता न होने के कारण मेहनताना बंदियों को नहीं मिल पा रहा है।
परिजन नहीं लाते आधार कार्ड
इस संबंध में जिला जेल अधीक्षक संजय सहलाम बताते हैं कि जेल में बंदियों से मिलने के लिए उनके परिजन आते हैं हम उन्हें आधार कार्ड और समग्र आइडी लाने को कहते हैं। बंदियों को भी जेल में रोजाना आधार कार्ड घर से बुलवाने को कहा गया है, लेकिन वह और उनके परिजन आधार कार्ड लाकर नहीं दे रहे हैं। इसके कारण से एकाउंट नहीं खुल पा रहे हैं और कैदियों के मेहनताना राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। जेल में अनेकों आपराधिक मामलों में वर्षों से सजा काट रहे, कैदियों के भी आधार कार्ड नहीं हैं। कई कैदी तो पांच छह वर्षों से सजा काटने के साथ ही यहां श्रम कर रहे हैं, लेकिन उनके परिजनों ने जेल में आधार कार्ड लाकर नहीं दिये हैं।
इनका कहना है
हमने अनुविभागीय अधिकारी सीहोर को कई बार पत्र लिखकर जेल में आधार कार्ड बनाने के कैंप लगाने की मांग की है। आधार कार्ड बन जाएंगे तो खाता खुल जाएंगे। इसके बाद मेहनताना राशि उनके खातों में भेज दी जाएगी।
संजय सहलाम, जिला जेल अधीक्षक सीहोर