गाजियाबाद। सरकार (Government rescued) ने फर्जी नौकरी के झांसे में फंसे 549 भारतीयों (549 Indians ) को दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) से बचाकर वापस लाया है. इन युवाओं को साइबर अपराध (Cyber crimes) में धकेला जा रहा था. जांच में पता चला है कि इनमें से 65 उत्तर प्रदेश, 61 महाराष्ट्र, 57 गुजरात और 48 पंजाब से हैं. इन सभी से CBI समेत कई एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं. यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिर इन्हें कैसे फंसाया गया और कौन लोग इसके पीछे हैं.
CBI जांच इसलिए ज़रूरी
जांच से पता चला है कि पीड़ित अलग-अलग राज्यों से हैं, जिससे यह साफ़ होता है कि यह एक बड़े और संगठित गिरोह का काम है. CBI के पास ऐसे मामलों की जांच करने का अनुभव और संसाधन हैं. लोगों को साइबर क्राइम के लिए मजबूर किया जा रहा था, जो एक गंभीर अपराध है. CBI जांच से इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सकेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा. CBI जांच के ज़रिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाई जा सकेगी और पीड़ितों को न्याय मिल सकेगा.
दो बार में विदेश से आए 549 भारतीय
भारतीयों को दो खेपों में सैन्य विमान से वापस लाया गया – 266 सोमवार को और 283 मंगलवार को. उन्हें म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस जैसे देशों में घोटाले केंद्रों में ले जाया गया था. हिंडन एयरबेस पर उतरने के बाद, उन्हें गाजियाबाद में CBI अकादमी ले जाया गया. यहां CBI, NIA और पुलिस अधिकारियों ने उनसे उनके राज्यों के आधार पर पूछताछ की. CBI दस्तावेज़ों की जांच के अनुसार, सबसे ज़्यादा पीड़ित उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब से हैं।
पूछताछ में पता चला है कि सभी पीड़ितों को एक प्लेसमेंट एजेंसी ने फंसाया था. उन्हें डेटा एंट्री ऑपरेटर की नौकरी का झांसा देकर अच्छा वेतन देने का वादा किया गया था. लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड करने के लिए मजबूर किया गया. अब संबंधित राज्यों की पुलिस को प्लेसमेंट एजेंसी और ट्रैवल एजेंट के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि, अभी तक पीड़ितों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने का फ़ैसला नहीं लिया गया है. गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि जालसाजों ने 2021 में 551 करोड़ रुपये, 2022 में 2,306 करोड़ रुपये और 2023 में 7,496 करोड़ रुपये की ठगी की है.
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