इंदौर। बीते कुछ वर्षों से कई तरह के क्लस्टरों (clusters) की घोषणा तो उद्योग विभाग (industry department) ने कर दी, जिनमें से एक भी तैयार नहीं हो सका। टॉय क्लस्टर में ही कई तरह के विवाद चल रहे हैं, तो छोटी बेटमा में फर्नीचर क्लस्टर के लिए भी जमीनें चिन्हित की गई, मगर आबंटन नहीं हो सका। 450 एकड़ के फर्नीचर क्लस्टर में अब 55 एकड़ जमीन (Earth) का आबंटन शासन ने कर दिया है, जिसमें लगभग 40 फर्नीचर निर्माताओं को भूखंड (plot) उपलब्ध हो सकेंगे। जबकि 60 निवेशक अपनी राशि लेटलतीफी के चलते वापस ले चुके हैं। वहीं वन विभाग (Forest department) भी अपनी जमीनों को लेकर आपत्ति दर्ज करा चुका है।
मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम ने फर्नीचर क्लस्टर के लिए कुछ समय पूर्व टेंडर भी जारी कर दिए थे। मगर विकास कार्य शुरू होने से पहले ही वन विभाग की भी आपत्ति आ गई। लगभग 16 हेक्टेयर जमीन वन विभाग की है, जो इस क्लस्टर में आ रही है। लगभग 450 एकड़ में क्लस्टर की प्लानिंग की गई और कई स्थानीय और बड़ी कम्पनियों ने जमीन लेने के लिए आवेदन भी कर दिए और 400 छोटे-बड़े फर्नीचर से जुड़े उद्योग यहां स्थापित होना थे, जिसमें 10 हजार करोड़ से अधिक के निवेश का दावा और 15 से 20 हजार लोगों को रोजगार भी मिलना था। बीते 2 सालों से कागजों पर ही फर्नीचर क्लस्टर की कवायद चलती रही। यहां तक कि कई निवेशकों ने राशि भी जमा करवा दी। ऐसे लगभग 110 निवेशक बताए जाते हैं, जिन्होंने 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा करवाई।
मगर समय पर आबंटन ना मिलने के चलते 60 निवेशकों ने अपने आवेदन के साथ जमा राशि भी वापस ले ली। अब जिला औद्योगिक व्यापार (industrial trade) केन्द्र का कहना है कि 55 एकड़ जमीन का आबंटन प्राप्त हो चुका है, जिससे लगभग 40 फर्नीचर निर्माताओं को जमीन यानी भूखंड उपलब्ध कराए जा सकेंगे। लघु, सुक्ष्म, मध्यम उद्यमी विभाग द्वारा जमीन आबंटन के साथ अब फर्नीचर क्लस्टर के एक हिस्से का काम शुरू हो जाएगा। 99 साल की लीज डीड पर इन निर्माताओं को जमीन दी जाएगी। अब जल्द ही इस 55 एकड़ जमीन को विकसित किए जाने का काम शुरू होगा, जिसमें सडक़, बिजली, पानी, ड्रैनेज सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई जाएगी। इंदौर के भी कई फर्नीचर निर्माताओं ने यहां जमीनें चाही है।
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