नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि 11 बैंकों को चार साल में ऋण राशि के एकमुश्त निपटारे के तहत करीब 61,000 करोड़ रुपये वापस मिल गए। ये आंकड़े पिछले तीन साल और मौजूदा वित्त वर्ष के दिसंबर 2021 तक के हैं। वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने लोकसभा को बताया कि एनपीए हो चुके बैंकों के ऋण को समझौते के तहत निपटान या एकमुश्त निपटान के जरिये समाधान किया गया।
- कराड ने बताया कि इस कदम से बैंकों को अपने फंड को तेजी से अर्थव्यवस्था में लाने में मदद मिली। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के तहत बैंकों को ऋण वसूली नीति के लिए बोर्ड की मंजूरी जरूरी होती है।
- उन्होंने कहा कि 11 राष्ट्रीयकृत बैंकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले तीन वित्तीय वर्ष में एकमुश्त निपटान के तहत 38,23,432 मामलों की मंजूरी मिली। इनमें सबसे ज्यादा पंजाब नेशनल बैंक के 8.87 लाख मामले थे।
कांग्रेस ने की अमीरों पर कर लगाए जाने की मांग
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सेवाओं के लिए संचित निधि से अतिरिक्त खर्च की मंजूरी के लिए राज्यसभा में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विनियोग विधेयक (3) और वित्त वर्ष 2018-19 के लिए विनियोग विधेयक (2) पेश किया। विनियोग विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, राजस्व बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा अमीरों और बड़े उद्योगपतियों को कर के दायरे में लाया जाए, लेकिन मध्य वर्ग और गरीबों को बख्श दें। गोहिल ने कहा कि समाज का यह वर्ग कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, इसलिए इन पर कर न लगाएं।