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7वां अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 3 मार्च से होगा शुरू, राष्ट्रपति करेंगी उद्घाटन

– नए युग में मानववाद का सिद्धांत की थीम होगा सम्मेलन
– 15 देशों के 350 विद्वान, चिंतक, शोधार्थी और पांच देशों के मंत्रियों का विशेष- सत्र

भोपाल (Bhopal)। तीन दिवसीय सातवां अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन (Seventh International Dharma-Dhamma Conference) का आयोजन 3 मार्च से मप्र की राजधानी भोपाल के कुशाभाई ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर (Kushabhai Thackeray International Convention Center) में शुरू होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) 3 मार्च को दोपहर 12 बजे इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी। उद्घाटन समारोह में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुखयमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता शामिल होंगे।


जनसम्पर्क अधिकारी क्रांतिदीप अलूने ने बुधवार को उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और इंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में अंतराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन भोपाल में किया जा रहा है। नए युग में मानववाद के सिद्धांत पर केंद्रित यह सम्मलेन 3 से 5 मार्च तक कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय सभागार, भोपाल में होगा। धर्म-धम्म के वैश्विव विचारों को एक मंच प्रदान करने वाले इस सम्मेलन में 15 देशों से 350 से अधिक विद्वान शामिल हो रहे हैं। इसमें भूटान, मंगोलिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की सहभागिता रहेगी।

4 मुख्य सत्र में 25 विद्वान का होगा संबोधन
तीन दिवसीय सम्मेलन में 4 मुख्य सत्रों में 25 विद्वान अपने विषय का निरूपण करेंगे। इसी दौरान 15 समानान्तर-सत्र भी होंगे, जिसमें सम्मलेन की थीम “नए युग में मानववाद का सिद्धांत” पर केंद्रित 115 शोध-पत्र पढ़े जाएंगे। इस सम्मलेन में पहली बार एक अनूठा मंत्री-सत्र भी होगा, जिसमें 5 देशों के मंत्री सांस्कृतिक, सामंजस्य और विभिन्न विषय पर चर्चा करेंगे। इस सत्र में भूटान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल और भारत के मंत्री शामिल होंगे।

यह सम्मेलन भारत से प्रतिपादित मानवीय मूल्यों के वैश्विक असर को रेखांकित करता है। पश्चिम के देशों में भारतीय संस्कृति और दर्शन से प्रतिपादित सिद्धातों के प्रति बहुत जिज्ञासा है और साँची विश्व विद्यालय इसी दिशा में शोध और अध्ययन पर केंद्रित है। सम्मेलन के दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर की प्रस्तुति की जाएगी। इसमें जनजातीय नृत्य और देश-विदेश में प्रसिद्धि पा चुके मध्यप्रदेश की धूलिया जनजाति के गुदुमबाजा का भी प्रदर्शन होगा। साथ ही मां नर्मदा को समर्पित लोकगीतों की प्रस्तुति भी होगी। (एजेंसी, हि.स.)

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