भोपाल। उपचुनाव-2020 में शिकायत शाखा में आने वाली 80 फीसदी शिकायतें झूठीं निकली हैं। अधिकारी से लेकर कर्मचारी के नाम पर तो कभी राजनीतिक दलों को फायदा देने के आरोप की शिकायतों का ढेर लगा है। इसमें प्रत्याशी के नाम से सादा कागज तो लेटरहेड तक का उपयोग किया जा रहा हैं। अभी तक शिकायत शाखा में 114 मामले आए हैं, जिनमें 109 का निराकरण कर दिया गया है। अफसरों साथ मुश्किल यह कि मामलों के निराकरण के लिए समय पूरा देना पड़ता है और जब वह झूठी निकलती हैं तो खीझ भी आती है। खुद जिनके नाम से शिकायती आवेदन आ रहे हैं,उनको सामने बैठाकर क्रॉस चेक भी किया जा रहा है।
निराकरण की प्रक्रिया
उपचुनाव के लिए गठित किए गए शिकायत सेल में शिकायतकर्ता की शिकायत का निराकरण बुलाकर किया जाता है। पहले आवेदक को बुलाकर पूछा जाता है कि क्या यह शिकायत आपके द्वारा ही की गई है। इसके बाद आवेदक स्वीकारता है तो शिकायत के आधार मांगे जाते हैं।
हमने शिकायत ही नहीं की
शिकायत सेल से मिली जानकारी के अनुसार जब मामलों के निराकरण में आवेदकों को सामने बुलाया गया तो उनका कहना था कि उन्होने कोई शिकायत ही नहीं की है। इसमें भाजपा,कांग्रेस से लेकर छोटे राजनीतिक दलों के पदाधिकारी और प्रत्याशी तक शामिल हैं। 80 फीसद शिकायतों में यही सामने आया कि किसी ने जानबूझकर अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए शिकायत की है।
चुनाव के बहाने हट जाएं कांटे
शिकायत करने वाले यह जानते हैं कि आचार संहिता के समय में चुनाव आयोग सख्ती से कार्रवाई करता है। इसी का फायदा उठाने के लिए झूठी शिकायतें की जाती हैं। आवेदक को लगता है कि शायद झूठी शिकायत से उनकी राह के कांटे हट जाएं। ग्वालियर शिकायत सेल प्रभारी राजीव सिंह कहते हैं कि शिकायत सेल के पास उपचुनाव के संबंध में अलग अलग तरह की शिकायतें रोज आ रही हैं। अभी तक 114 करीब शिकायतें आ चुकी हैं जिनमें 80 फीसदी झूठी हैं। लोग आपसी द्वेष के कारण शिकायत कर देते हैं। यहां तक कि प्रत्याशी के लेटरहेड तक का उपयोग कर लिया जाता है।