इंदौर। जिले के 326 पटवारियों (Patwari) में से 89 ने अब भी लैपटॉप(laptop) नहीं लिया है। कई अब भी काम का वही पुराना ढर्रा अपना रहे हैं तो कई हाईटेक(hi-tech) होते हुए लैपटॉप चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। भारी बस्ते टांगे हुए गांव-गांव घूमते पटवारियों को राहत दिलाते हुए सरकार ने पटवारियों को हाईटक बनाते हुए लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी, लेकिन इंदौर जिले के 89 पटवारियों को अभी भी ये लैपटॉप रास नहीं आ रहा। जिले के 326 पटवारियों में से 89 ने लैपटॉप ही नहीं खरीदा है। 256 पटवारियों ने काम को आसान बनाने और जल्दी निपटाने की इस योजना का लाभ उठाते हुए 50 -50 हजार के लैपटॉप खरीद लिए हैं। इनमें 182 ऐसे हैं, जिन्होंने विभाग में रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है।
जब तक लैपटॉप नहीं तो वेतन नहीं
सरकार ने पटवारियों को इस योजना के तहत लैपटॉप खरीदने का समय निर्धारित किया था। यदि इस समय के दौरान पटवारी हाईटेक नहीं हुए तो विभागों को निर्देश दिए गए थे कि उनके वेतन का आहरण न किया जाए, लेकिन चुनाव की ड्यूटी में लगे होने के कारण विभाग के अधिकारियों ने उन्हें कुछ समय की और मोहलत दी है, ताकि बचे हुए पटवारी भी लैपटॉप की खरीदी कर लें। भू-अभिलेख शाखा अधिकारी सुनील जायसवाल ने बताया कि सरकार द्वारा इस योजना के तहत पटवारियों को रजिस्ट्रेशन कराते ही उनके खाते में लैपटॉप की कीमत की राशि का भुगतान किया जा रहा है।
चलाना ही नहीं आता
नवीन पटवारियों की भर्ती में अब कम्प्यूटर दक्षता को अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन पूर्व में भर्ती किए जा चुके पटवारियों को कम्प्यूटर चलाना नहीं आता, जिसके चलते कई पटवारी अब भी लैपटॉप लेने के बावजूद मैन्युअल काम ही कर रहे हैं। भू-अभिलेख-ऋण पुस्तिका जैसे दस्तावेजों को लेने के लिए भी आवेदक पटवारियों के चक्कर काटते हैं। हालांकि इस सुविधा को भी ऑनलाइन कर दिया गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी जानकारी नहीं होने के कारण पटवारियों से ही मदद लेते हैं। अब ये पटवारी वेव जी ई पोर्टल पर काम करना सीख रहे हैं।
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