- केंद्र सरकार ने नहीं किया उठाव, न ही भंडारण में की मदद
भोपाल। प्रदेश में रबी फसलों के उपार्जन का काम शुरू हो गया है। चना एवं सरसों की कीमत खुले बाजार में समर्थन मूल्य से ज्यादा है। इसलिए उपार्जन केंद्रों पर अभी इन फलसों की तुलाई नहीं हो रही है। जबकि सरकार अब गेहूं की खरीदी करने जा रही है, बारिश की वजह से इसमें देरी हुई है। सरकार के सामने गेहूं के भंडारण की समस्या है। क्योंकि प्रदेश के गोदामों में करीब 86 लाख मीट्रिक टन गेहूं भरा है। बार-बार पत्र लिखने के बाद भी केंद्र सरकार गेहूं का उठाव नहीं कर रही है। न ही अभी तक नए उपार्जन के भंडारण के लिए कोई मदद की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले हफ्ते रबी फसलों के उपार्जन खासकर गेहूं के भंडारण को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से दिल्ली में मिले थे। इस दौरान उन्होंने तोमर के सामने भंडारण की समस्या रखी। जिस पर तोमर ने भंडारण के लिए पॉलिबैग में मदद का आश्वासन दिया था। इधर राज्य में बारिश का दौर खत्म होते ही गेहूं खरीदी का दौर शुरू हो जाएगा। प्रदेश के किसी भी जिले में गोदाम खाली नहीं है। जहां गेहूं का भंडारण किया जा सके। ऐसे में सरकार के सामने पॉलीबैग में ही गेहंू के भंडारण की मजबूरी है। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री एक बार फिर गेहूं के उठाव एवं भंडारण को लेकर एक बार फिर दिल्ली जाने वाले हैं। इसके लिए सीएम सचिवालय ने मप्र का केंद्र के सामने पक्ष रखने की पूरी तैयारी कर ली है।
पिछले साल बना था रिकॉर्ड
पिछले साल कोरोना काल के बावजूद भी मप्र ने गेहूं उपार्जन का रिकॉर्ड बनाया था। पिछले साल 127 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं उपार्जन किया गया था। जिसमें से पीडीसी का गेहूं आवंटित करने के बाद शेष गेहूं गोदामों में भरा है। भारतीय खाद्य निगम ने भी गेहूं का उठाव नहीं किया है। सूत्रोंं ने बताया कि राज्य सरकार केंद्र पर गेहूं का उठाव करने के लिए दबाव बना रही है, लेकिन केेंद्र सरकार पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है।