भोपाल। बारिश और अचानक नदियों में बांधों के गेट खोल देने से आई बाढ़ (Flood) से प्रभावित बाढ़ पीडि़त किसान (aggrieved farmer) और ग्रामीण गरीब सरकार (rural poor government) की घोषणाओं के बाद राहत या मुआवजे का इंतजार ही कर रहे हैं कि लगातार बारिश ने सोयाबीन, बाजरा और तिल्ली की की काई फसलों को बर्बाद कर दिया है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश को यदि सोया स्टेट के नाम से जाना जाता है तो बाजरा और तिल्ली उत्तरी मध्य प्रदेश में खरीफ की प्रमुख फसलें हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि लगातार की बारिश ने इन फसलों के दाने की चमक को फीका कर दिया है। जहां तिल्ली का रंग काला पड़ गया है वहीं बाजरा अपनी बाली और सोयाबीन अपनी फली में ही अंकुरित होने को है। जाहिर है कि इससे सिर्फ इन फसलों का उत्पादन ही प्रभावित नहीं होगा, बल्कि जो थोड़ा बहुत उत्पादन होगा भी, उसका उचित दाम भी किसान को नहीं मिलेगा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि सोयाबीन, बाजरा और तिल्ली उत्पादक किसानो को मुआवजे के लिए सिर्फ बीमा कं नियों के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि एक तो सभी किसान सभी फसलों का बीमा करवाते नहीं हैं, दूसरा फसल बीमा योजना का अनुभव यह है कि वह किसानो की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि बीमा कं नियों की तिजोरियां भरने के लिए है।
माकपा नेता ने कहा है कि बीमा कंनिया या तो किसानों के मुआवजे के दावे ही खारिज कर देती हैं या फिर प्रीमियम राशि से भी कम मुआवजा देकर वे किसानो के जख्मों पर नमक छिड़कती हैं।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि बाढ़ पीडि़तों के लिए राहत कार्यों के साथ ही उनकी फसलों, मकानों और पशुओं की हुई क्षति के मुआवजा प्रक्रिया को तेज किए जाने के साथ ही सोयाबीन, बाजरा और तिल्ली की फसल के हुए नुकसान का सर्वे भी तुरंत शुरू कर किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री को खुद हल कर किसानो को मुआवजा राशि देने की घोषणा करनी चाहिए।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved