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व्यक्तिगत स्वार्थ से बड़ा है राष्ट्र स्वार्थ, देश से बढ़कर कुछ नहीं – डॉ मोहन भागवत

जम्मू। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत (Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwat) ने अपने जम्मू प्रवास के दौरान जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में प्रबुद्धजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यक्तिगत स्वार्थ से बढ़कर देश स्वार्थ है। देश से बड़ा कुछ भी नहीं है, यहीं हमारी पहचान व संस्कृति है। अपने छोटे स्वार्थ की एक मर्यादा है पर देश का स्वार्थ सबसे बड़ा है। हमारी संस्कृति ही हमारा राष्ट्र है, इसलिए हमारा व्यवहार समाज में कैसा हो यह विचारणीय बिन्दु है। हमारे व्यवहार से ही हमारा देश सुरक्षित होगा, हम सुरक्षित होंगे व पूरा विश्व सुरक्षित होगा। हमें महाशक्ति बनने की आवश्यकता नहीं हैं बल्कि हमें ऐसा बनना चाहिए कि पूरा विश्व हमारी संस्कृति का अनुसरण करे, जो सदियों से विश्व कल्याण की कामना करती आई है। उन्होंने कहा कि भारत में अनेक राज्य व्यवस्थाएं और विविधताएं हैं लेकिन हमारी एकता नहीं बदलती।


डॉ भागवत ने कहा कि जीवन को सुख देने वाला धर्म हमारे पास है। हमारा धर्म संपूर्ण विश्व के लिए आत्मीय दृष्टि रखने और सुख देने वाला है। उन्होंने कहा कि विश्व की नजरें भारत पर लगी हैं। उसकी वजह है कि भारत में विविधता में एकता है। समाजवाद और वामपंथ के बाद कोई तीसरा रास्ता होना चाहिए ऐसा विचार आज चल रहा है। इंग्लैंड का आधार भाषा है, अतः जब तक अंग्रेजी है यूके है। यूएस का आधार आर्थिक विषय हैं। अरब जैसे देशों का आधार इस्लाम है। उन्होंने इस संदर्भ में भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में पहले से ही विविधताएं हैं लेकिन जोड़ने वाले तत्व हमारे पास होने के कारण हम एक हैं।

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में व्यक्ति समाज के विकास में बाधा नहीं बनते और न ही समाज व्यक्ति के विकास में बाधा बनता है। हमारे पूर्वजों ने हमें यह सिखाया है। यहीं हमारी संस्कृति है, जो सनातन काल से चल रही है। उन्होंने कहा कि भारत में अनेक राज्य, व्यवस्थाएं और विविधताएं हैं लेकिन इससे हमारी एकता नहीं बदलती। इसलिए यह आवश्यक है कि निस्वार्थ भाव के साथ सभी यह समझें कि देश से बढ़कर कुछ नहीं है। हमारा देश जब सुरक्षित, प्रतिष्ठित, समर्थ बनेगा तब हम सुरक्षित, प्रतिष्ठित और सामर्थ्यवान बनेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे छोट-छोटे हित भी हैं, परंतु इन सबसे ऊपर हमारा राष्ट्र, हमारी संस्कृति और हमारे पूर्वज हैं। इस भावना से अपना जीवन व्यवहार करना पड़ेगा। हम सब मिलकर अपने देश को ऐसा स्थापित करेंगे कि उसका जीवन और विचार देखकर संपूर्ण दुनिया खुद को हमारे जैसा बनाने की कोशिश करेगी।

मोहन भागवत ने कहा कि व्यवस्था बदलती है और इसके अंतर्गत ही अनुच्छेद 370 हटा, मतलब व्यवस्था में परिवर्तन हुआ। मन की आस पूरी हुई। इसके लिए डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी और प्रजा परिषद ने आंदोलन किया था।

इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल, उत्तर क्षेत्र के संघचालक प्रो. सीता राम व्यास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार और जम्मू कश्मीर प्रांत के सह संघचालक डॉ गौतम मैंगी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। (एजेंसी, हि.स.)

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