- लोगों का भूखी माता क्षेत्र से बडऩगर रोड तक हुजूम उमड़ा
उज्जैन। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर शहर में परंपरागत पाड़ों की लड़ाई का आयोजन भूखी माता क्षेत्र से लेकर बडऩगर रोड तक किया गया। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ भी पहुँची थी। पाड़ों की यह लड़ाई कई घंटे तक चली और लोग तमाशबीन बने रहे। इस दौरान कार्रवाई के लिए संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस भी नहीं पहुँची थी। क्योंकि पुलिस को जानकारी ही नहीं मिली। पशु अत्याचार अधिनियम के तहत पाड़ों की लड़ाई पर कई सालों से प्रतिबंध लगा हुआ है। बावजूद इसके हर साल दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा से लेकर भाईदूज तक शहर में कई मवेशी पालक पाड़ों की लड़ाई का आयोजन करते हैं। इसमें पाड़ों की जीत हार पर मवेशी मालिक की प्रतिष्ठा दांव पर लगी होती है।
हालांकि कई मवेशी पालक लोगों के तथा खुद के मनोरंजन के लिए अपने ही मवेशियों को आपस में लड़ाते हैं। कल सुबह गोवर्धन पूजा घर -घर हुई थी और इसके बाद दोपहर से लेकर शाम तक भूखी माता मंदिर क्षेत्र से लेकर बडऩगर रोड स्थित मुल्लापुरा तक कई जगह पाड़ों की लड़ाई के आयोजन देखे गए। इस दौरान मनोरंजन करने के लिए इन कार्यक्रमों में लोगों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ी। इधर कई घंटे इन क्षेत्रों में पाड़ों की लड़ाई होती रही और पुलिस पहुँची ही नहीं।
कार्रवाई तो दूर जानकारी तक नहीं पुलिस को
इस बारे में आज सुबह अग्रिबाण ने जब क्षेत्र के संबंधित महाकाल थाना पुलिस से चर्चा की तो महाकाल थाना पुलिस ने बताया कि थाना क्षेत्र में पाड़ों की लड़ाई का आयोजन हुआ। इस बारे में थाने पर कोई सूचना नहीं आई है। ऐसे में पाड़े की लड़ाई का आयोजन करने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। कुल मिलाकर महाकाल थाना पुलिस को कल दिनभर चली पाड़ों की लड़ाई की जानकारी नहीं मिल पाई तो किसी पर प्रकरण भी दर्ज नहीं हो पाया।