- विभाग ने 220 बच्चों की जानकारी भेजी भोपाल
इंदौर। स्पान्सरशिप योजना के तहत अब तक कोविड में अनाथ हुए बच्चों को जहां 2000 रुपए की आर्थिक सहायता सामाजिक संस्थाओं द्वारा दी जा रही थी। अब इसकी राशि 2 हजार से बढ़ाकर 4 हजार करते हुए योजना को केंद्र सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है। हर जिले के अनाथ व गंभीर बीमारी से जूझ रहे या माता-पिता के भरण-पोषण नहीं करने की सूरत में बच्चों को निराश नहीं होना पड़ेगा। चार हजार रुपए की सुविधा हर महीने मिलेगी।
वात्सल्य मिशन योजना के तहत अब केंद्र सरकार राज्य सरकार की मदद से अनाथों सहित निसहाय बच्चों को आसरा देगी। दूसरे लॉकडाउन लगने के बाद अनाथ हुए 55 सहित 523 बच्चों को दो हजार रुपए महीना आर्थिक सहायता दी जा रही थी। भोजन और आवास की सुविधा के लिए दिए जा रहे इस दो हजार की राशि को अब सरकार ने बढ़ाकर चार हजार रुपए कर दिया है। स्पान्सरशिप योजना, पोस्टर केयर और अप्रूवल कमेटी द्वारा चुने गए बच्चों को लाभ दिलाने के लिए अब इन तीनों योजनाओं को मिलाकर मिशन वात्सल्य शुरू किया जा रहा है। ज्ञात हो कि अग्रवाल समाज और शहर की अन्य संस्थाओं ने अनाथ हुए बच्चों को गोद लेकर छह महीने तक उनका भरण-पोषण किया, लेकिन पिछले एक साल से भरण-पोषण नहीं मिलने के कारण इन बच्चों के जीवनयापन का प्रश्न खड़ा हो गया था। सरकार तक पहुंचाए गए आवेदनों और समस्या के बाद यह पहल की गई है।
220 बच्चों की भेजी जानकारी, 750 आवेदन आए
महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधोलिया ने बताया कि कोविड के बाद 13 डोनर संस्थाएं इन 523 बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही थी, लेकिन 6 महीने तक मिली सहायता के बाद डोनेशन आना बंद हो गया था। अब तक विभाग में 40 ऐसे बच्चे थे, जिनको सरकार की 2 हजार रुपए की राशि का लाभ मिल पा रहा था, लेकिन अब इन सभी योजनाओं को मर्ज कर बनाई गई वात्सल्य योजना के तहत ऐसे बच्चे, जो अनाथ है या जिनके माता या पिता दोनों में कोई एक नहीं है, माता-पिता ने बच्चों को छोड़ दिया है। माता या पिता किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं, जिसकी वजह से बच्चे का भरण-पोषण नहीं हो पा रहा है या बच्चा खुद किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त है तो उसे इस योजना के तहत लाभ दिलाया जा सकता है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्राकृतिक आपदा ग्रस्त विधवा, एचआईवी पीडि़त ऐसे परिवार, जो ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं और उनकी आय 72 हजार रुपए प्रतिवर्ष है या शहरी क्षेत्र में 96 हजार रुपए प्रतिवर्ष है, उन्हें इसका लाभ मिल सकता है।