ब्‍लॉगर

शताब्दी वर्ष का संघ संकल्प

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सकारात्मक भाव भूमि पर हुई थी। इसमें नकारात्मक चिंतन के लिए कोई जगह नहीं है। हिन्दू समाज को संगठित करने का ध्येय था। संघ की संरचना में शाखाएं सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं। यहीं से सामाजिक संगठन और निःस्वार्थ सेवा का संस्कार मिलता है। इसमें मातृभूमि की प्रार्थना की जाती है-नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि। यह भाव राष्ट्र को सर्वोच्च मानने की प्रेरणा देता है। समाज के प्रति सकारात्मक विचार जागृत होता है। स्वयंसेवकों के समाज सेवा कार्य इसी भावना से संचालित होते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के सौवें वर्ष में प्रवेश करने से पहले चाहता है कि वह देश के सभी मंडलों तक शाखाओं का विस्तार कर दे। इसके लिए हरियाणा में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में विस्तार से चर्चा हुई। मंडल स्तर पर शाखाओं का विस्तार महत्वपूर्ण है। संघ का शताब्दी समारोह अगले वर्ष विजयादशमी से शुरू होगा। कोविड आपदा के दौरान शाखाओं के कार्य में व्यवधान आया पर उसके बाद प्रत्येक क्षेत्र में संघ कार्यों की लगभग दस प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आगामी समय में इसको विस्तार देने पर विचार-विमर्श हुआ । पहले से संचालित सामाजिक समरसता अभियान को तेज किया जाएगा। समाज में छुआछूत और भेदभाव को दूर करने के लिए कार्यकर्ताओं को और सजग किया जाएगा। इसके साथ ही वह पारिवारिक मूल्यों के लिए और कुटुम्ब प्रबोधन के कार्यक्रमों को गति दी जाएगी। साथ ही साथ पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य संचालित होगा। लोक जागरण को वरीयता दी जाएगी। सामाजिक जीवन मूल्यों के प्रति लोगों को जागृत किया जाएगा।


संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने साफ तौर पर कहा कि यह बैठक पूरी तरह से सामाजिक ढांचे को चुस्त-दुरस्त रखने और भारत राष्ट्र और हिन्दू व भारतीय समाज को संगठित करने के लिए थी। इसमें किसी भी प्रकार की राजनीतिक व अन्य प्रकार की चर्चा नहीं हुई। आलोचकों को समाज में संघ की स्वीकार्यता की वास्तविकता को देखना चाहिए। संघ राजनीतिक क्षेत्र में काम नहीं करता है। संघ के साथ किसी की कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। शाखा के इतर संघ के सभी आयामों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रहती है। शाखा संघ का एक बड़ा आयाम है। इसमें स्वयंसेवक सुबह या शाम के समय संघ स्थान पर जाते हैं। बाकी संघ के सभी प्रकार के कार्यक्रमों जैसे प्रचार विभाग, कुटुम्ब प्रबोधन हो, सेवा हो या अन्य प्रकार के कार्यक्रमों के नीति निर्माताओं व नीति निर्धारण करने वालों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रहती है। जहां भी शाखाएं लगती हैं वहां तीन माह में एक बार पूरे परिवार के साथ सहभोज, सांस्कृतिक कार्यक्रम और चर्चा आदि आयोजित किए जाते हैं। इसमें परिवार के सभी सदस्य सम्मिलित होते हैं।

ऐसा करके एक प्रकार से संघ ने पूरे परिवार को साथ में जोड़ने का एक और नया आयाम दिया है। संवाद के माध्यम से सभी को संघ एकजुट करना चाहता है। संघ के नेता मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उनके आध्यात्मिक नेताओं से उनके आमंत्रण पर ही मिल रहे हैं। मुस्लिम, इसाई अथवा विदेश से आने वाले प्रतिनिधिमंडल यदि वे संघ को समझने और उससे संवाद कायम करना चाहते हैं तो ऐसे सभी लोगों का संघ स्वागत करेगा। लेकिन राष्ट्र विघातक शक्तियों के विरुद्ध समाज को सजग करना अपरिहार्य होता है। भाषा,जाति या अन्य प्रकार के भेदों को दूर करते हुए संघ के कार्यकर्ता समाज को एकजुट करने का काम करते हैं। कुछ राजनीतिक शक्तियां अपने स्वार्थ के लिए समय-समय पर भाषा-जाति व अन्य प्रकार का विघ्न पैदा करते हैं। लेकिन समाज बहुत जागृत है। ऐसे लोग कभी सफल नहीं होंगे। भारत और समाज को तोड़ने वाली शक्तियां परास्त होंगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसी लक्ष्य को लेकर समाज को एकजुट करने का कार्य करता रहेगा।

इस बैठक में अनेक अहम निर्णय लिए गए। इसमें एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव है। इसमें कहा गया है कि विश्व कल्याण के उदात्त लक्ष्य को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु भारत के ‘स्व’ की सुदीर्घ यात्रा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है। विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ तथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुंची। इस कालखंड में पूज्य संतों व महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने सतत संघर्षरत रहते हुए अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। इस संग्राम की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित थी, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रही। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र ने इस संघर्ष में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता सेनानियों तथा मनीषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया है। स्वाधीनता प्राप्ति के उपरांत हमने अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभर रही है। भारत के सनातन मूल्यों के आधार पर होने वाले नवोत्थान को विश्व स्वीकार कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा के आधार पर विश्व शांति, विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण के लिए भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मत यह भी है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी।

संघर्षकाल में विदेशी शासन से मुक्ति हेतु जिस प्रकार त्याग और बलिदान की आवश्यकता थी, उसी प्रकार वर्तमान समय में उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध तथा औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त समाजजीवन भी खड़ा करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री द्वारा स्वाधीनता दिवस पर दिये गए ‘पंच-प्रण’ का आह्वान भी महत्वपूर्ण है। जहां अनेक देश भारत की ओर सम्मान और सद्भाव रखते हैं, वहीं भारत के ‘स्व’ आधारित इस पुनरुत्थान को विश्व की कुछ शक्तियां स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की कई शक्तियां निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र के प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं। हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना होगा।

यह अमृतकाल भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त कराने के लिए सामूहिक उद्यम करने का अवसर प्रदान कर रहा है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा प्रबुद्ध वर्ग सहित सम्पूर्ण समाज का आह्वान करती है कि भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाजजीवन के सभी क्षेत्रों में कालसुसंगत रचनाएं विकसित करने के इस कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बने, जिससे भारत विश्वमंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्वकल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सके।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Share:

Next Post

न्यूजीलैंड ने पहली पारी 580 रन पर की घोषित, विलियमसन-निकोल्स के दोहरे शतक

Sun Mar 19 , 2023
– श्रीलंका की खराब शुरुआत, 26 रन पर खोए 2 विकेट वेलिंगटन (Wellington.)। केन विलियमसन (Kane Williamson) (215) और हेनरी निकोल्स (Henry Nicholls) (नाबाद 215) रनों की बदौलत न्यूजीलैंड (New Zealand) ने यहां श्रीलंका (Sri Lanka) के खिलाफ खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन अपनी पहली पारी 4 विकेट पर 580 रन […]