नई दिल्ली (New Delhi)। बीते साल गलती से ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान (Pakistan) की ओर चलाने पर मिली अधिकारियों की सजा को केंद्र सरकार (Central government) ने सही ठहराया है। सरकार ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि इस गलती के चलते पड़ोसी मुल्क के साथ रिश्ते प्रभावित हुए हैं। साथ ही सरकार को 24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सरकार ने इस घटना के बाद भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के एक विंग कमांडर (wing Commander) समेत तीन अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था।
सरकार ने अधिकारियों को बर्खास्त करने के फैसले का बचाव किया। केंद्र ने कहा कि यह फैसला बगैर किसी दुर्भावना के जनहित में लिाय गया था। साथ ही यह भी बताया कि याचिकाकर्ता (petitioner) को कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अपनी बात रखने के सभी मौके दिए गए थे। दरअसल, इस मामले में विंग कमांडर शर्मा ने बर्खास्त किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। घटना के समय वह इंजीनियरिंग ऑफिसर (engineering officer) पद पर थे।
सरकार की तरफ से ये आरोप भी लगा दिए गए कि याचिकाकर्ता यह जानते हैं कि उनकी विफलता और मिसाइल लॉन्च के बीच गहरा संबंध है, इसके बाद भी उन्होंने अन्य अधिकारियों को जिम्मेदार बताने की कोशिश की है। केंद्र का कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर वह सबूतों के बारे में चर्चा नहीं करेगी। हालांकि, सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि कोर्ट की कार्यवाही के जरिए याचिकाकर्ता की खामियों को दिखाया जाएगा।
इधर, याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें केवल ऐसी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिली थी, जो रखरखाव से जुड़ी थी, ऑपरेशन को अंजाम देने की नहीं। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने कॉम्बैट SOP के आधार पर अपना कर्तव्य पूरा निभाया था और घटना की वजह पूरी तरह ऑपरेशनल स्तर पर थी।
क्या था मामला
बीते साल 9 मार्च को भारत ने गलती से पाकिस्तान में ब्रह्मोस मिसाइल दाग दी थी। इस घटना के दो दिन बाद ही यानी 11 मार्च को भारत ने नियमित रखरखाव के दौरान हुई तकनीकी खामी को इसका जिम्मेदार बताया था। इसे लेकर पाकिस्तान की तरफ से विरोध जताया गया था, लेकिन दोनों ही पक्षों ने इस बात को बढ़ावा नहीं दिया। 6 महीने बात 23 अगस्त को वायुसेना के तीन अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। इसे लेकर शर्मा ने 1 मार्च को कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
पिछली सुनावाई के दौरान एएसजी चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि गलती से हुई फायरिंग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को शर्मिंदा किया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि इससे युद्ध जैसी स्थिति बन सकती थी। हालांकि, कोर्ट की तरफ से रक्षा मंत्रालय समेत कई अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया और 6 सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया था।
Share: