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अडानी समूह बंजर जमीन पर बन रहा दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्लांट

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति (Second richest person.) एवं सबसे बड़े कारोबारियों (biggest businessmen) में एक गौतम अडानी (Gautam Adani) का अडानी समूह ग्रीन एनर्जी (Adani Group is engaged in green energy) पर फोकस कर रहा है. अडानी समूह ने ग्रीन एनर्जी की अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा करने के लिए बंजर जमीन पर दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्लांट (World’s largest green energy plant) तैयार किया है, जिसका आकार पेरिस शहर की तुलना में पांच गुना बड़ा है. इतना ही नहीं, यह प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर इतनी बिजली पैदा करेगा, जो कई देशों की पूरी जरूरतों से ज्यादा होगी।


538 वर्ग किलोमीटर में बना प्लांट
इस प्लांट को तैयार किया है गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने. इस प्लांट को गुजरात के खावड़ा में पाकिस्तान की सीमा के पास बनाया गया है. इस प्लांट में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से ग्रीन एनर्जी बनाई जाएगी. पूरा प्लांट 538 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो फ्रांस की राजधानी पेरिस के आकार से लगभग 5 गुना बड़ा है।

अभी इतनी है उत्पादन की क्षमता
अभी इस प्लांट की क्षमता 2 हजार मेगा वाट यानी 2 गीगा वाट बिजली तैयार करने की है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट में अडानी ग्रीन एनर्जी के मैनेजिंग डाइरेक्टर विनीत जैन के हवाले से बताया गया है कि कंपनी की योजना वित्त वर्ष 2024-25 में 4 गीगा वाट क्षमता का और विस्तार करने की है।

पूरी क्षमता पर इतनी बिजली बनाएगा प्लांट
जब यह प्लांट पूरी तरह से तैयार हो जाएगा और पूरी क्षमता पर काम करेगा, तब यह 30 गीगा वाट स्वच्छ बिजली का उत्पादन करेगा. उसमें 26 गीगा वाट का उत्पादन सोलर से और 4 गीगा वाट का उत्पादन पवन ऊर्जा से किया जाएगा. कंपनी का कहना है कि खावड़ा प्लांट अपने पीक पर 81 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा, जो बेल्जियम, चिली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों की पूरी खपत से ज्यादा है।

ये सुविधाएं बना रहा अडानी समूह
अडानी समूह ने इस प्लांट पर साल 2022 में काम शुरू किया था. जिस जगह पर प्लांट का निर्माण हुआ है, वह इस कदर वीरान है कि वहां से आखिरी इंसानी बस्ती 80 किलोमीटर दूर है. हालांकि अडानी समूह की योजना प्लांट के साथ वहां काम करने वाले लोगों के लिए बस्ती व अन्य बुनियादी सुविधाएं तैयार करने की है. कंपनी 8 हजार वर्कर्स के लिए वहां घर बना रही है. कंपनी मोबाइल फोन रिपेयर शॉप जैसी सुविधाएं भी बस्ती में तैयार करेगी. कामगारों के लिए पेयजल की व्यवस्था को लेकर डिसेलिनेशन प्लांट भी लगाए जा रहे हैं, क्योंकि उस जगह पर 700 मीटर नीचे से निकलने वाला भूमिगत जल भी खारा है।

इन कारणों से प्लांट के लिए आदर्श जगह
अडानी का यह प्लांट पाकिस्तान से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी पर है. प्लांट और बॉर्डर के बीच के इलाके की निगरानी बीएसएफ के द्वारा की जाती है. खावड़ा को वहां की भौगोलिक परिस्थितियां काफी मुश्किल बना देती हैं. साल के चार-पांच महीने उस इलाके में धूल भरी आंधी चलती है. साथ ही मिट्टी ऐसी है, जो बारिश के पानी को भी नहीं सोख पाती है. हालांकि उस इलाके में सोलर रेडिएशन लद्दाख के बाद सबसे ज्यादा है, जो सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए बेहतर परिस्थिति है. साथ ही 8 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से बहने वाली तेज हवा जगह को पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए भी आदर्श बना देती है।

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