नई दिल्ली । भगवान गणेश को रिद्धि-सिद्धि और सुखों का प्रदाता माना जाता है. इनकी पूजा से जीवन में चल रही संकटों का नाश होता है और मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है. इसलिए हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi ) का त्योहार मनाया जाता है. ज्योतिषियों की मानें तो इस बार गणेश चतुर्थी पर 300 साल बाद एक अद्भुत संयोग बनने जा रहा है.
ज्योतिष (Astrology) के जानकारों का कहना है कि गणेश चतुर्थी पर इस साल वो सभी योग बन रहे हैं जो गणपति (Ganapati) के जन्म के समय बने थे. शास्त्रों के अनुसार, देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने मिट्टी के गणेश बनाकर उसमें प्राण डाले थे. माता पार्वती ने यह करिश्मा दिन बुधवार(Wednesday), चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्र में किया था. संयोगवश इस साल भी ये योग बन रहे हैं, जिसकी वजह से गणेश महोत्सव (Ganesh Festival) खास हो गया है. इस बार गुरु ग्रह की स्थिति से लंबोदर योग भी बन रहा है, जो कि भगवान गणेश का ही एक नाम है. साथ ही वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला नाम के 5 राजयोगों का भी निर्माण हो रहा है.
300 सालों बाद ग्रहों का ऐसा संयोग
इस साल गणेश महोत्सव दिन बुधवार 31 अगस्त से लेकर शुक्रवार, 09 सितंबर तक मनाया जाएगा. इस दौरान पूरे दस दिनों तक भगवान गणेश अपने भक्तों के साथ रहेंगे. ग्रहों की स्थिति के हिसाब से भी इस बार गणेश चतुर्थी पर एक विशेष संयोग बन रहा है. इस साल चार प्रमुख ग्रह अपनी-अपनी राशि में विराजमान रहेंगे. सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में और शनि मकर राशि में रहेगा. गणेश चतुर्थी पर ग्रहों का ऐसा संयोग 300 साल बाद बना है.
कैसे करें गणपति की पूजा?
गणेश चतुर्थी पर इस दुर्लभ संयोग के बीच भगवान गणेश की पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होने वाली है. इस दिन सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा करने वालों के मन की हर इच्छा पूरी हो सकती है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की एक प्रतिमा स्थापित करें. उन्हें लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. भगवान को लाल और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. भगवान गणेश को दूर्वा भी बहुत प्रिय है. इसके अलावा, गणेश चतुर्थी पर गणपति के चमत्कारी मंत्रों का जाप करें.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं.
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