नासिक: टमाटर के बाद अब प्याज के दाम भी आसमान पर पहुंच सकते हैं. प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क (Export duty) लगाने के केंद्र के फैसले का विरोध करते हुए एशिया में प्याज के सबसे बड़े थोक बाजार नासिक के व्यापारियों और कमीशन एजेंटों ने सोमवार से प्याज व्यापार का बॉयकाट (Boycott ) करने का फैसला किया है. इसके कारण देश में प्याज की सप्लाई पर असर पड़ सकता है और दाम बढ़ सकते हैं.
रविवार को नासिक के निफाड तालुका के लासलगांव (Lasalagon) में आयोजित एक बैठक में ट्रेडर्स एंड कमीशन एजेंट्स एसोसिएशन ने सोमवार से व्यापार का बहिष्कार करने की अपील की. संगठन ने राज्य के अन्य हिस्सों के व्यापारियों से उनके फैसले का समर्थन करने की अनुरोध किया है. गौरतलब है कि शनिवार को केंद्र सरकार ने निर्यात को कम करने के लिए प्याज पर 40 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने यह कदम प्याज की फसल की कमी और गोदामों में रखे प्याज की क्वालिटी के मुद्दों को देखते हुए थोक और खुदरा प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए उठाया है. जबकि प्याज के व्यापारियों, कमीशन एजेंटों और किसान प्रतिनिधियों ने फैसले का विरोध किया.
व्यापारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्याज व्यापारियों की समस्या की ओर से आंखें मूंद ली हैं, जबकि प्याज को 500-600 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम दाम पर बेचा जा रहा है. क्वालिटी से जुड़ी चिंताओं ने किसानों को अपने प्याज को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर कर दिया था. अनुमान है कि गोदामों में रखे गए प्याज में से 40 प्रतिशत की क्वालिटी ठीक नहीं थी, जिसके कारण उन्हें औने-पौने दाम पर बेचा गया.
केंद्र सरकार का निर्यात शुल्क को बढ़ाकर प्याज के निर्यात पर अंकुश लगाने का फैसला ऐसे समय में आया है जब विभिन्न बाजारों में थोक कीमतें बढ़ गई हैं. लासलगांव के बाजार में जो प्याज 1,000-1,100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, वह अगस्त की शुरुआत से 2,200-2,300 रुपये प्रति क्विंटल के आंकड़े को पार कर गया है. इसका मुख्य कारण गोदामों और आवक में प्याज की मात्रा का उम्मीद से कम होना है. अधिकांश खुदरा बाजारों में प्याज 30-35 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है.
नासिक में प्याज उत्पादक आम तौर पर तीन फ़सलें लेते हैं. खरीफ की फसल जून/जुलाई में बोई जाती है और अक्टूबर के बाद काटी जाती है. प्याज की लेट खरीफ की फसल सितंबर-अक्टूबर में बोई जाती है और दिसंबर के बाद काटी जाती है और रबी की फसल दिसंबर में बोई जाती है और मार्च के बाद काटी जाती है. रबी प्याज सबसे महत्वपूर्ण फसल है. कृषि उपज निर्यात संवर्धन विकास प्राधिकरण (APEDA) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 के वित्तीय वर्ष में भारत ने 25.25 लाख टन प्याज का निर्यात किया था, जबकि 2021-22 में 15.37 लाख टन और 2020-21 में 15.78 लाख टन निर्यात किया गया था.
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