नई दिल्ली। गेहूं के निर्यात (export of wheat) पर रोक के बाद किसानों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। यह बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में कही। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि निर्यातकों ने बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात किया है। वहीं घरेलू कीमतें एमएसपी से भी ज्यादा हैं। निर्यात पर रोक के बावजूद गेहूं एमएसपी (Wheat MSP) से ज्यादा की कीमत पर बिक रहा है।
लोकसभा (Lok Sabha) में सवाल किया गया था कि गेहूं के निर्यात पर रोक के बाद किसानों को जो नुकसान उठाना पड़ रहा है उसके लिए क्या सरकार ने मुआवजे की व्यवस्था की है? बता दें कि मई में केंद्र सरकार ने अपनी निर्यात नीति में परिवर्तन करते हुए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कहा था कि देश के अंदर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद हाल ही में केंद्र सरकार (Central government) ने आटा और उससे जुड़े उत्पाद जैसे कि मैदा, रवा, होलमील आटा पर 12 जुलाई से रोक लगाई है। सभी निर्यातकों को गेहूं से जुड़े उत्पादों का निर्यात करने से पहले इंटर मिनिस्टीरियल कमिटी (inter ministerial committee) से परमिशन लेनी होगी। लोकसभा में यह सवाल भी पूछा गया कि क्या इस बात की जानकारी है कि तुर्की ने भारतीय गेहूं (Indian Wheat) में एक तरह के वायरस की बात कही है?
कृषि मंत्री ने कहा, कुछ अखबारों में कहा गया कि रुबेला वायरस की वजह से भारत के कुछ स्टॉक को रिजेक्ट किया गया। यह वायरस इंसानों में पाया जाता है और इसका गेहूं से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि तुर्की के नेशनल प्लांट प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन ने कहा था कि भारत के गेहूं को वायरस पाए जाने की वजह से रिजेक्ट किया गया है। इसमें फंगस लगने की बात कही गई थी।
हालांकि केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गेहूं में फंगस नहीं था। निर्यात से पहले इसकी जांच की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसके अलावा यही गेहूं जब इजरायल भेजा गया तो उसने बिना किसी आपत्ति के स्वीकार किया।
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