नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। अमेरिकी (America) वार्ताकार जलमय खलीलजाद (Zalmay Khalilzad) मंगलवार यानी आज अफगान-तालिबान (Afghan-Taliban) वार्ता के लिए भारत की यात्रा पर आएंगे। खलीलजाद दोहा में रविवार को शुरू हुई अंतर-अफगान वार्ता पर विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के लिए भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। एक कैदी की अदला-बदली और काबुल में कई बड़ी शख्सियतों पर तालिबान के लगातार हमलों के कारण ये यात्रा अपने तय समय के छह महीने बाद हो रही है।
राजनयिकों के मुताबिक नई दिल्ली में खलीलजाद अपनी चार घंटे की भारत यात्रा में अफगान शांति प्रक्रिया का विवरण साझा करेंगे, साथ ही पिछले 20 सालों से काबुल में भारत की भूमिका की सराहना भी करेंगे।
इमरान सरकार से खलीलजाद की बातचीत
वहीं अफगानिस्तान में सुलह कराने के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि खलीलजाद सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचें। अफगानिस्तान में 19 साल से जारी हिंसा को खत्म करने के लिए तालिबान के साथ बातचीत को सफल बनाने की आवश्यकता को लेकर उन्होंने इमरान खान सरकार से बातचीत की।
अमेरिकी वार्ताकार खलीलजाद सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रावलपिंडी जनरल हेडक्वार्टर ऐसे कदम उठाए जिससे तालिबान शांति वार्ता पर कायम रहे। अब तक माना जाता रहा है कि तालिबान अगर अमेरिका के सैन्य दबाव में नहीं होता तो वह सैन्य रूप से देश पर कब्जा कर लेता और 1996 की तरह इसे इस्लामिक अमीरात में बदलना पसंद करता।
संघर्ष विराम की पेशकश
रविवार को वार्ता के उद्घाटन समारोह में अफगान सरकार और अमेरिका समेत तमाम सहयोगियों ने संघर्ष विराम का आह्वान किया है। अफगान सरकार के लिए शांति प्रक्रिया के प्रमुख अब्दुल्ला ने कहा कि तालिबान अपने जेल में बंद लड़ाकों की अधिक रिहाई के बदले संघर्ष विराम की पेशकश कर सकता है, लेकिन तालिबान ने बातचीत की मेज पर आने के दौरान ऐसे युद्ध विराम का जिक्र नहीं किया था।
सरकार की वार्ता टीम के सदस्य अहमद नादर नादेरी ने रविवार को कहा, वार्ता टीमों के संपर्क समूहों के बीच पहली बैठक आज हुई। इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच आचार संहिता, आगामी बैठकों के कार्यक्रम और प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा की गई और कैसे इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए इसपर बातचीत हुई।
कतर में पाकिस्तान-अफगानिस्तान मामलों के विशेषज्ञ शामिल
बता दें कि इस वार्ता की मेजबानी कर रहे अमेरिका, अफगानिस्तान, तालिबान और कतर के अलावा, सप्ताह के आखिर में होने वाली चर्चाओं में भारत, पाकिस्तान, रूस, जर्मनी, इंडोनेशिया, उज्बेकिस्तान, नॉर्वे और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
इस मामले से जुडे़ लोगों का कहना है कि ये पहली बार है जब भारत अंतर अफगान बातचीत में विदेश मंत्रालय स्तर पर हिस्सा ले रहा है। संयुक्त सचिव जेपी सिंह दोहा में इस वार्ता के लिए एक टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें कतर में भारत के राजदूत और पाकिस्तान-अफगानिस्तान मामलों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
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