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एमनेस्टी की रिपोर्ट में दावा, पेगासस के जरिए किए गए 2 पत्रकारों के फोन टारगेट

नई दिल्‍ली (New Delhi) । एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Pegasus software) के जरिए जासूसी (spying) को लेकर बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि हाल ही में iPhones पर पेगासस स्पाइवेयर के जरिए टारगेट किए जाने वालों में 2 भारतीय पत्रकार भी शामिल हैं। वाशिंगटन पोस्ट के साथ पार्टनरशिप में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब की ओर से फोरेंसिक जांच में यह दावा किया गया। मालूम हो कि पेगासस एक तरह का जासूसी सॉफ्टवेयर है जिसे इजरायली सर्विलांस फर्म NSO ने तैयार किया है। एनएसओ ग्रुप का कहना रहा है कि वो इसे लेकर डील केवल सरकारों से करता है और गहन जांच के बाद ही यह फैसला लिया जाता है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जासूसी के दावे को ‘हाफ फैक्ट्स’ और तोड़-मरोड़कर पेश किए जाने वाला बताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘यह ऐपल को बताना होगा कि क्या उनके डिवाइस असुरक्षित हैं और इस तरह के नोटिफिकेशन को लेकर क्या हुआ। Apple को इंडियन सीईआरटी के साथ जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था। इसे लेकर मीटिंग हुई हैं और पूछताछ जारी है।’


2 पत्रकारों में ये नाम हैं शामिल
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जिन 2 पत्रकारों को लेकर दावा किया है कि उन्हें पेगासस से टारगटे बनाया गया, उनमें द वायर के संस्थापक व संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और ऑर्गनाइज्ड क्राइम व करप्शन रिपोर्ट प्रोजेक्ट (OCCRP) के साउथ एशिया एडिटर आनंद मंगनाले शामिल हैं। इन दोनों को विपक्षी दलों के कई नेताओं के साथ अक्टूबर में ऐपल से नोटिफिकेशन मिला था। इसके बाद जांच के लिए इन्होंने अपने डिवाइस एमनेस्टी इंटरनेशनल को सौंप दिए।

शशि थरूर, राघव चड्ढा और इन्हें मिले थे नोटिफिकेशन
कांग्रेस नेता शशि थरूर से लेकर आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा तक ऐसे विपक्षी नेता हैं, जिन्हें ऐपल की ओर से यह ‘खतरे वाला नोटिफिकेशन’ मिला था। इसमें कहा गया कि राज्य प्रायोजित स्पाइवेयर से उनके आईफोन पर हमले की आशंका है। इसे लेकर इन लोगों ने केंद्र पर निशाना साधा था और आरोप लगाया गया कि स्पाइवेयर अटैक के प्रयास के पीछे वही है। हालांकि, सरकार इससे इनकार करती रही है। खतरे वाले नोटिफिकेशन के पीछे का कारण पता लगाने के लिए इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम (CERT-In) की अध्यक्षता में जांच शुरू की गई।

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