कलकत्ता। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) ने मंगलवार को अमोघ लीला दास नामक साधु पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। इस्कॉन ने कहा कि उसने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में की गईं टिप्पणियों से उपजे विवाद के बाद साधु पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अमोघ लीला दास ने मछली के सेवन के लिए स्वामी विवेकानंद की आलोचना करते हुए कहा था कि एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी किसी प्राणी को हानि नहीं पहुंचा सकता। उन्होंने रामकृष्ण की शिक्षा “जतो मत ततो पथ” (जितनी राय, उतने रास्ते) पर भी व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था कि हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता। बता दें, दास की टिप्पणी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि हम इस्कॉन का सम्मान करते हैं, लेकिन उसे अब दास को रोकना चाहिए। रामकृष्ण और विवेकानंद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने साधु के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की।
इस्कॉन ने एक बयान में कहा कि दास के विचार उसके मूल्यों व शिक्षाओं का हम प्रतिनिधित्व नहीं करते। हम धार्मिक मान्यताओं व प्रथाओं के प्रति किसी भी प्रकार के अनादर और असहिष्णुता की निंदा करते हैं। अपमानजनक टिप्पणियां आध्यात्मिक पथों और व्यक्तिगत विकल्पों की विविधता को लेकर दास में जागरूकता की कमी को दर्शाती हैं।
बयान में कहा गया है कि साधु की गलती को ध्यान में रखते हुए इस्कॉन ने उन पर एक महीने के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। हमने उन्हें अपना निर्णय बता दिया है। अमोघ लीला दास ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है। उन्हें एहसास हो रहा है कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है। बयान के अनुसार, उन्होंने एक महीने तक गोवर्धन पर्वत पर जाकर प्रायश्चित करने का निर्णय लिया है। वह तत्काल प्रभाव से खुद को पूरी तरह अलग कर लेंगे।
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