जम्मू (Jammu)। भयंकर मंजर (terrible scene)… किसी की टांग तो किसी का हाथ सड़क किनारे बिखरा पड़ा था। फिल्मों में तो कई बार लोगों को जिंदा जलते (burning people alive) देखा, लेकिन हकीकत में पहली बार शहीदों (Martyrs) को इस तरह देखकर रूह कांप गई। यह कहना है पुंछ जिले (Poonch District) के भाटादूड़ियां में आतंकी हमले (Terrorist attack in Bhataduriyan) के बाद सैन्य वाहन के भीतर और सड़क पर जिंदा जलते जवानों (soldiers burning alive) को देखने वाले चश्मदीदों का जो आतंकी हमले के कुछ समय बाद घटनास्थल पर पहुंचे थे।
इन लोगों का कहना है कि वे जम्मू से पुंछ लौट रहे थे। जैसे ही उनके वाहन तोता गली के आगे पहुंचे तो उन्होंने सेना के एक वाहन को जलते देखा। उनके चालकों ने वहीं गाड़ियों की ब्रेक मार दी, और वह उतर कर सैन्य वाहन की तरफ भागे। उनके पीछे अन्य लोग भी भागते हुए वाहन के पास पहुंचे तो वाहन से उठ रहीं आग की लपटों के बीच दो जवानों को वाहन के अंदर आग से लिपटे देखा।
कुछ जवान वाहन के नीचे सड़क पर आग में लिपटे हुए थे। उनकी वर्दियों के साथ ही उनके शरीर बुरी तरह जल रहे थे, और मांस के जलने की हल्की हल्की दुर्गंध भी उठने लगी थी। वाहन चालकों ने हिम्मत दिखाते हुए जवानों के जिस्म पर लगी आग को बुझाने के प्रयास शुरू किए, लेकिन लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
आंखों के सामने पहली बार असल में इंसानों को जलते देख उनकी रूह कांप गई। ऐसा लगा कि सभी लोग पत्थर में बदल गए हों। इस बीच अन्य कई वाहन भी मार्ग पर रुके और उनके यात्री भी शोर मचाते हुए पहुंचे। वे भी हिम्मत कर आग बुझाने लगे। लेकिन, वहां का मंजर बड़ा ही भयंकर था। जलते इंसानों के साथ किसी की टांग, किसी का हाथ तो किसी का शव सड़क किनारे पड़े देखा।
जहां सब जवानों के शरीर आग में झुलस गए थे, वहीं एक जवान सड़क के किनारे औंधे मुंह पड़ा था। सोचा कि वह बेहोश है, लेकिन जैसे ही उसे सीधा किया तो पांव के नीचे से जमीन ही निकल गई। उसके माथे पर बने गड्डे से बहुत खून बह रहा था।
इस बीच पीछे से कुछ लोग चिल्लाए कि गोलियां मारी हैं गोलियां। हमें तब भी समझ नहीं आया कि वे क्या बोल रहे हैं। इसी बीच सेना के जवान वहां पहुंच गए और वहां से सभी को भगा दिया गया।
जवानों को जवाबी कार्रवाई का नहीं मिला मौका
पुंछ जिले में जम्मू-पुंछ हाईवे पर भाटादूड़ियां और तोता गली के बीच सैन्य वाहन पर आतंकियों द्वारा किया गया हमला खतरनाक और सुनियोजित था। इसमें आतंकियों ने पहले चलते सैन्य वाहन पर बम व ग्रेनेड से हमला कर भयंकर आग लगाई। उसके बाद वाहन में जलते हुए जवानों पर गोलियां दागीं। इसके चलते जवानों को जवाबी कार्रवाई करने का भी मौका नहीं मिला।
घटना के बाद स्थल पर पहुंचे राहगीरों के अनुसार सैन्य वाहन चारों तरफ से जल रहा था। वाहन का डीजल टैंक अलग होकर गिर गया था, जहां एक-दो जवान भीतर थे, तीन सड़क पर वाहन के पीछे की तरफ और एक आगे की तरफ सड़क पर गिरा हुआ था।
इस हमले को लेकर अभी तक कोई भी सुरक्षा एजेंसी इस बात का खुलासा नहीं कर पाई है कि इस हमले में कितने हमलावर थे, लेकिन घटनास्थल और हमले के हालात को प्रथम दृष्टि से देखने पर यह एक-दो आतंकियों का काम नहीं लगता। बल्कि, इस हमले में चार से छह आतंकियों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। साथ ही क्षेत्र के परिचित ओजीडब्ल्यू की संलिप्तता भी साबित होती है।
जान की परवाह किए बिना मदद के लिए दौड़ पड़े
पुंछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर वीरवार को यात्रा कर रहे लोग जान की परवाह किए बिना सैन्य वाहन में लगी आग और उसमें झुलस रहे जवानों की मदद के लिए दौड़ पड़े। सड़क पर आग की लपटों से घिरे जवानों की आग बुझाने में मदद की। हालांकि इन्हें सैन्य अधिकारियों व जवानों की डांट और गुस्सा भी सहन करना पड़ा।
गनीमत रही कि आतंकियों ने इस हमले को अंजाम देने के बाद और किसी नापाक इरादे को अंजाम देने की कोशिश नहीं की। जिले में जारी आतंकी वारदातों को देखें तो अधिकर वारदातों के बाद आतंकियों द्वारा घटनास्थल पर शवों के नीचे या आसपास मौजूद सामान या वाहन के नीचे आईईडी आदि लगा दिए जाते रहे हैं, ताकि बिना सोचे समझे घटनास्थल पर पहुंचने वालों को भी अपना शिकार बनाया जा सके।
साथियों के लिए खाद्य सामग्री लेकर लौट रहे थे
मेंढर में वीरवार दोपहर को जम्मू-पुंछ हाईवे पर आतंकी हमले की भेंट चढ़े सेना के पांच जवान अपने साथियों के लिए सब्जियां, फल, अंडे एवं अन्य वस्तुएं लेकर लौट रहे थे। सैन्य वाहन के साथ जली हुईं सब्जियां, फल, आदि चीजें चीख-चीख कर इस हमले की गवाही दे रही हैं।
सैन्य वाहन में लगी आग बुझाने के बाद वाहन के भीतर जांच के लिए पहुंचे शहीद जवानों के साथियों ने जब उनके लिए लाई जा रही खाद्य सामग्री की हालत देखी तो उनका खून खौल उठा। जानकारी के अनुसार सेना की 49आरआर के जवान अपने मुख्यालय में सुबह खाद्य सामग्री लेने बींबर गली गए हुए थे।
ताकि समय पर सामान लाकर कंपनी में पहुंचाई जाए। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि यह सामान उनके साथी जवानों के नसीब में ही नहीं। सामान तो सामान वे स्वयं भी लौटकर अपनी कंपनी में नहीं पहुंच पाएंगे।
आतंकी हमले के बाद सेना ने खंगाले राजोरी के जंगल
राजोरी और पुंछ सीमा से सटे भाटादूड़ियां क्षेत्र में वीरवार को हुए आतंकी के बाद सेना ने हरकत में आते हुए राजोरी के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोपहर बाद जैसे ही सेना के वाहन पर आतंकी हमला हुआ, सेना के जवानों ने बीजी और मंजाकोट से सटे जंगली इलाकों में चप्पे-चप्पे को खंगालना शुरू कर दिया।
सेना ने मंजाकोट के जंगली इलाके जो कि थन्नामंडी और शाहदरा शरीफ से मिलते हैं, और मुगलरोड से कश्मीर घाटी के साथ जुड़ते हैं, वहां जगह-जगह नाके लगाकर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है।
कोशिश है कि यदि आतंकवादी मंजाकोट और थन्नामंडी के जंगलों में हैं तो वह घाटी की ओर न जा सकें, और उन्हें पहले ही ढेर कर दिया जाए। सूत्रों बताते हैं कि सेना ने बड़े पैमाने पर जंगलों में दूर-दूर तक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। जंगलों के आसपास लोगों के घरों में भी सेना पूछताछ कर रही है।
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