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सिंधिया के बाद अरुण यादव की बारी, खंडवा-बुरहानपुर में नियुक्ति पर फिर कमलनाथ से तनातनी

भोपाल। अरुण यादव (Arun Yadav) भी अब ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की राह पर चलते नज़र आ रहे हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ (Kamalnath) के साथ चल शीत युद्ध का ये हाल है कि अरुण यादव के गृह जिले खंडवा-बुरहानपुर (Khandwa,Burhanpur) में एक महीने बाद तक नये जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई हैं।

मध्य प्रदेश कांग्रेसकमेटी (Madhya Pradesh Congress Committee) ने 1 महीने पहले 10 दिसंबर को खंडवा और बुरहानपुर जिला इकाइयों को भंग कर दिया था। पार्टी ने शहरी और ग्रामीण जिला अध्यक्षों को हटाया था। इसके पीछे तर्क ये था कि लंबे समय तक एक ही चेहरे के पास जिले की कमान संगठन के लिए ठीक नहीं। पार्टी को मजबूत करने के लिए बदलाव जरूरी है। लेकिन एक महीना गुजर जाने के बाद भी पार्टी दोनों जिलों में नए अध्यक्ष के नाम तय नहीं कर पाई है। इसके पीछे बड़ी वजह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और निमाड़ में कांग्रेस का चेहरा अरुण यादव के बीच छिड़ा शीत युद्ध माना जा रहा है।


दोनों जिलों में अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनाने के लिए अरुण यादव दिल्ली में प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक तक से मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन उनके द्वारा सुझाए गए नामों को लेकर पार्टी कोई फैसला नहीं कर पा रही है। पूरा मामला दिल्ली तक पहुंचने के बाद कांग्रेस के सचिव और सह प्रभारी सीपी मित्तल खंडवा और बुरहानपुर का दौरा कर दिल्ली वापस लौट गए हैं।जानकारी के मुताबिक सीपी मित्तल पार्टी हाईकमान को दोनों जिलों में मची खींचतान पर अपनी रिपोर्ट देंगे। साथ ही जिलों में जो एक्टिव चेहरे हैं उनके नाम भी जिला अध्यक्ष के लिए दे सकते हैं। सीपी मित्तल की रिपोर्ट पर कांग्रेस पार्टी दोनों जिलों के अध्यक्षों के नाम तय करेगी।

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह (former minister Sajjan Singh) वर्मा ने ऐसे किसी मतभेद से इंकार किया। उन्होंने कहा खंडवा और बुरहानपुर जिला इकाइयों के गठन की प्रक्रिया जारी है। जो नाम सामने आए हैं उनका स्थानीय स्तर पर वजन नापा जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सी पी मित्तल के सुझाए जाने वाले नामों पर पार्टी अपनी मुहर लगाएगी और जल्द नामों का ऐलान हो जाएगा।

बता दे कि प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के दल बदलने के बाद अरुण यादव दूसरे बड़े नेता हैं जिनके कमलनाथ से लगातार मतभेद बने हुए हैं। दोनों के बीच कई मामलों पर मतभेद उभर कर सामने आने आ चुके हैं। नया मसला खंडवा और बुरहानपुर जिला इकाइयों के गठन पर है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि दिल्ली अरुण यादव के करीबियों के नाम पर मुहर लगाती है या फिर अरुण यादव के गढ़ में कमलनाथ अपने करीबी को तैनात करने में कामयाब हो पाते हैं।

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