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अमेरिका में एशियाई समुदाय के लोग सबसे प्रभावी बनकर उभरे

वाशिंगटन। अमेरिका (America) में जनगणना(Census) आंकड़ों के एक ताजा विश्लेषण का निष्कर्ष है कि देश में एशियाई-अमेरिकन और पैसिफिक आईलैंडर्स Asian-American and Pacific Islanders (AAPI) समुदाय सबसे प्रभावी अल्पसंख्यक समुदाय बन कर उभरा है। AAPI एशिया और प्रशांत क्षेत्र से आकर यहां बसे समूहों को कहा जाता है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका की सांस्कृतिक पहचान (Cultural identity of america) हमेशा नस्लीय और जातीय समूहों के आव्रजन से प्रभावित होती रही है। बीते दस साल में ऐसा सबसे बड़ा प्रभाव AAPI ने डाला है।
पिछले एक दशक में इस समुदाय के सदस्यों की जनसंख्या तेजी से बढ़ी। नतीजतन, देश में उसका प्रभाव भी बढ़ा है। मई को अमेरिका(America) में AAPI विरासत महीने के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान अमेरिकी राजनीति में इस समुदाय के बढ़ रहे असर की खास चर्चा हो रही है। साथ ही इस समुदाय से जुड़े विभिन्न पहलुओं की मीडिया में चर्चा हो रही है। जिस बात ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा है, वो यह है कि 2011 से 2019 के बीच एशियाई-अमेरिकियों की जनसंख्या एक करोड़ 82 लाख से बढ़ कर दो करोड़ 23 लाख हो गई। यानी उनकी आबादी में 27 फीसदी का इजाफा हुआ। गौरतलब है कि इस दौरान अमेरिका की कुल आबादी में वृद्धि महज पांच फीसदी की हुई। उस लिहाज से देखें तो साफ है कि एशियाई समुदाय की जनसंख्या में जबर्दस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई।



वैसे जनसंख्या विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि एएपीआई कोई समरूप समूह नहीं है। बल्कि यह विभिन्नतापूर्ण समूह है, जिसे जनगणना के दौरान एएपीआई की एक श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए अगर एशियाई समूह को अलग-अलग राष्ट्रीयताओं और नस्लों की श्रेणी में बांटा जाए, तो बढ़ी जनसंख्या का असल रूप समझने में ज्यादा मदद मिल सकती है। टीवी चैनल एनबीसी की वेबसाइट पर छपे एक विश्लेषण के मुताबिक 2011-19 अवधि में सबसे ज्यादा आबादी भारतीय मूल के लोगों के बढ़ी। इस संख्या में 14 लाख यानी 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। चीनी मूल के लोगों की संख्या 11 लाख यानी 29 फीसदी बढ़ी। फिलीपीन्स से आए लोगों की संख्या में सात लाख 77 हजार और वियतनामी मूल के लोगों की तादाद में तीन लाख का इजाफा हुआ।
इस विश्लेषण के मुताबिक एएपीआई श्रेणी के तहत 20 से अधिक राष्ट्रीयताओं के लोग शामिल हैं। इस श्रेणी में जापानी से लेकर पाकिस्तान और इंडोनेशिया तक को रखा जाता है। ये तमाम लोग अलग-अलग देशों से आते हैं। इस श्रेणी में रखे जानी लगभग राष्ट्रीयताओं की आबादी में पिछले दशक में दस फीसदी या उससे अधिक बढ़ोतरी दर्ज हुई।
विश्लेषण में ध्यान दिलाया गया है कि ये बढ़ोतरी पूरे अमेरिका में समान रूप से नहीं हुई है। बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग राष्ट्रीयताओं के लोगों की संख्या बढ़ी है। इसका असर वहां वोटिंग पैटर्न पर पड़ रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक चुनावों के दौरान उन क्षेत्रों में उठाए जाने वाले मुद्दों और पार्टियों के समर्थन के स्वरूप में इस कारण बदलाव आया है। कांग्रेस (संसद) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के कई चुनाव क्षेत्रों में ऐसा असर साफ तौर पर महसूस किया गया है।
इसके साथ ही अमेरिकी कांग्रेस में एएपीआई समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ी है। अमेरिकन प्रशासन में भी इन समुदायों से आए लोग अब ज्यादा बड़ी भूमिका निभा रहे हैँ। यही स्थिति कॉरपोरेट सेक्टर में भी है, जहां एशियाई खासकर भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में आज लीडरशिप की भूमिका में हैं।

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