देश

बापू आशाराम की हालत गम्भीर, इच्छानुरूप चिकित्सा की माँग

जोधपुर: झूठे आरोपों के तहत जोधपुर कारागार में रखे गये 86 वर्षीय संत आशारामजी बापू के स्वास्थ्य की स्थिति अत्यंत नाजुक है। जेल जाने से पूर्व 74 की उम्र में अतिव्यस्त जीवनशैली के बावजूद बापूजी को सिर्फ ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया व पीठ-दर्द की तकलीफ थी लेकिन 11.5 वर्ष से अधिक समय से लगातार कस्टडी के तनावयुक्त वातावरण से अब 86 वर्ष की इस वयोवृद्ध अवस्था में उनको हृदयरोग, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि (Prostate Enlargement), संधिवात (Arthritis) एवं रक्ताल्पता (Anaemia) आदि नयी बीमारियों ने भी घेर लिया है।

तनावमुक्त वातावरण में इच्छानुसार चिकित्सा आदि के अभाव से इन प्राणघातक बीमारियों की निवृत्ति न होने से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। बापू आशारामजी 13 जनवरी से जोधपुर के एम्स अस्पताल में कार्डियक आई.सी.यू. में भर्ती हैं। AIIMS की रिपोर्ट के अनुसार उनके हृदय में 3 गम्भीर (99%, 90% और 75%) ब्लॉकेज हैं। बापूजी को लगातार रक्तस्राव हो रहा है, जिसकी वजह से उनके हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। उनकी गम्भीर शारीरिक स्थिति को देखते हुए हाल ही में पैरोल की अर्जी लगायी गयी थी जिसे उनके रोग की भयानकता को अनदेखा करके रद्द कर दिया गया।

बापू आशारामजी ने अपना सारा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में, राष्ट्रोत्थान के लिए लगा दिया। बापूजी ने 18 साल पहले 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ चालू करवाकर देश की करोड़ों संतानों का जीवन तबाह होने से बचाया। क्रिसमस व अंग्रेजी नूतन वर्ष के नाम पर व्यसनों में डूबती जा रही जनता को बचाने हेतु पूज्य बापूजी ने 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाने की प्रेरणा दी। इससे हिन्दू संस्कृति की रक्षा के साथ पर्यावरण की रक्षा का भी बड़ा कार्य सहज में होने लगा है।


उनके अनेक विध लोकहितकारी सेवाकार्यों के द्वारा किसी मत, पंथ, सम्प्रदाय के भेदभाव के बिना करोड़ों लोग लाभान्वित हुए हैं, फिर भी आज उनके स्वास्थ्य की इतनी गम्भीर स्थिति में उन्हें अनुकूल, उत्तम और त्वरित इलाज के लिए किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है। बापूजी के केसों के तथ्यों और सबूतों को देखते हुए तो अनेक कानूनविदों का कहना है कि उन्हें निर्दोष छोड़ा जाना चाहिए। जबकि उन्हें स्वास्थ्य सुधार के लिए भी कोई राहत नहीं मिल पा रही है।

2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘कैदी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए। व्यक्ति का सेहत ठीक रहे यह सबसे जरूरी है। उसकी सेहत से संबंधित समस्याओं का राज्य सरकार ध्यान रखे, न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए।’ यह हर नागरिक का ऐसा संवेदनशील मौलिक अधिकार है जिसकी रक्षा होनी ही चाहिए। लेकिन बापू आशारामजी के मौलिक अधिकार का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Agniban (@dainik_agniban)

पॉक्सो एक्ट व गैंग रेप की धारा में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को पहले स्वास्थ्य के आधार पर और बाद में बेटी की शादी के लिए बेल दी गयी। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र कुमार जैन, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक आदि को हफ्तों-हफ्तों, महीनों-महीनों के लिए राहत दी गयी। हरियाणा के पूर्व चीफ मिनिस्टर ओम प्रकाश चौटाला को हार्ट का प्रोब्लम था और स्पेसिफिकली उस कारण के लिए उन्हें बेल मिली। इनके अलावा ऐसे तो अनेकों उदाहरण हैं।

घोटाले, हत्या, बमब्लास्ट जैसे जघन्य केसों के आरोपियों, दोषियों को भी जब राहत दी जाती है तो निर्दोष संत आशारामजी बापू को उनकी इच्छा के अनुरूप उचित इलाज कराने से क्यों वंचित रखा जा रहा है ? यह उनके मानवाधिकारों व संवैधानिक अधिकारों का हनन है। योग वेदांत सेवा समितियों, समस्त साधकों, नारी संगठन एवं कई हिन्दू संगठनों द्वारा माँग है कि सरकार द्वारा पूज्य बापूजी को यथेच्छित स्थान पर यथानुकूल चिकित्सा-पद्धति द्वारा उपचार हेतु शीघ्रातिशीघ्र राहत दी जानी चाहिए।

Share:

Next Post

जबलपुर कांग्रेस महापौर जगत बहादुर सिंह भाजपा में शामिल

Wed Feb 7 , 2024
जबलपुर: मध्य प्रदेश (madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) को बड़ा झटका लगा है, जबलपुर से कांग्रेस के महापौर जगत बहादुर (Mayor Jagat Bahadur) अन्नू बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए है. ऐसे में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह महापौर […]