भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मानसून से तरबतर भोपाल

  • वेदर सिस्टम के असर से मिल रही पर्याप्त नमी

भोपाल। राजधानी में वर्षा का सिलसिला जारी है। सोमवार को दोपहर में बारिश से शहर तरबतर हो गया। वहीं आज भी झमाझम बारिश की संभावना बनी हुई है। बड़े तालाब को भरने वाली कोलांस नदी भी लबालब हो चुकी है। 24 घंटे में बड़े तालाब का लेवल एक फीट और बढ़कर 1665.80 फीट पर पहुंच गया है। यह फुल टैंक लेवल से अब सिर्फ एक फीट कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मंगलवार को डेढ़ इंच बारिश भी हो गई तो भदभदा डैम के गेट खोले जा सकते हैं। मौसम विशेषज्ञ पीके साहा ने बताया कि भोपाल में अब तक 28.10 इंच बारिश हो चुकी है। यह सीजन की सामान्य बारिश 42.05 इंच की 70 फीसदी है। साहा ने बताया कि मिल रहे ट्रेंड के मुताबिक अगले दो-तीन दिन ऐसी ही रुक, रुक कर बारिश होने की संभावना है। यदि गरज-चमक वाले बादल बने तो कुछ देर तेजी से भी पानी बरस सकता है।


आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में लगभग ढाई इंच वर्षा हो चुकी है, जबकि इसके पहले दिन में ज्यादा वक्त राजधानी में केवल 2 मिमी दर्ज की गई थी। तापमान में भी काफी गिरावट है। रविवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 29.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले दिन के मुकाबले 02 डिग्री सेल्सियस कम रहा, साथ ही यह सामान्य से भी करीब 01 डिग्री सेल्सियस कम रहा। सोमवार को शहर का न्यूनतम तापमान 23.2 दर्ज किया गया, जो पिछले दिन के न्यूनतम तापमान के मुकाबले 1.4 डिग्री सेल्सियस कम रहा। हालांकि रविवार को उमस ने काफी परेशान किया। राजधानी में आद्र्रता 98 प्रतिशत रही।

ये मौसम प्रणालियां हं सक्रिय
मौसम विज्ञान केंद्र की वरिष्ठ विज्ञानी डा. ममता यादव ने बताया कि वर्तमान में एक अवदाब का क्षेत्र अरब सागर में बना हुआ है। बंगाल की खाड़ी में ओडिशा कोस्ट पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। मानसून ट्रफ अवदाब के क्षेत्र से दीसा, रायसेन, अंबिकापुर से होकर बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र तक बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर पर एक पश्चिमी विक्षोभ ट्रफ के रूप में मौजूद है। अलग-अलग स्थानों पर बनी इन चार मौसम प्रणालियों के असर से मिल रही नमी से मप्र के विभिन्न जिलों में वर्षा दो रही है।

Share:

Next Post

हंड्रेड इंस्पायरिंग इंडियन्स में धर्मेंद्र भी शामिल, केबीसी से भी मिला न्योता

Tue Jul 19 , 2022
पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द न जाने कोय तेरा दर्द न जाने कोय, बाहर से खामोश रहे तू, भीतर भीतर रोए रे। कवि प्रदीप का ये गीत पिंजरे में बंद पंछी के दर्द को बयां करता है। इसी गीत से मुतास्सिर होके भोपाल सहित मुल्क के कई शहरों में पिंजरे में कैद तोतों को […]