भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

हंड्रेड इंस्पायरिंग इंडियन्स में धर्मेंद्र भी शामिल, केबीसी से भी मिला न्योता

पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द न जाने कोय
तेरा दर्द न जाने कोय, बाहर से खामोश
रहे तू, भीतर भीतर रोए रे।

कवि प्रदीप का ये गीत पिंजरे में बंद पंछी के दर्द को बयां करता है। इसी गीत से मुतास्सिर होके भोपाल सहित मुल्क के कई शहरों में पिंजरे में कैद तोतों को आज़ाद कराने के लिए ‘मिशन पंखÓ चला रहे धर्मेंद्र शाह की शान में एक तमगा और जुड़ गिया हेगा। इस अनूठे काम के लिए इने हंड्रेड इंस्पायरिंग इंडियंस नाम की मुअजि़्जज़़ किताब में 46 वां नंबर मिला है। 700 रुपे की इस किताब में जगह पाना मिशन पंख के इस नोजवान के लिए बायस-ए-फक्र तो है, साथ ही इससे भोपाल का नाम बी रोशन हो गिया हेगा। हंड्रेड इंस्पायरिंग इंडियंस में धर्मेंद्र शाह के साथ ही मेजर जनरल जीडी बक्शी, नोबेल जीत चुके कैलाश सत्त्यार्थी, पद्मश्री सिंधु ताई सपकाल, न्यूज़ एंकर सईद अंसारी जैसी हस्तियां शामिल हैं। तोतों को पिंजरे से आज़ाद कराने की इनकी मुहिम ने धर्मेंद्र का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स, लिम्का बुक ऑफ रिकाड्र्स, अमेरिका बुक ऑफ रिकाड्र्स सहित 48 मुल्कों की रिकार्ड बुक में ‘मिशन पंखÓ का इनका कारनामा दर्ज किया जा चुका है। इस नेक काम के लिए इने 200 से ज़्यादा नेशनल और स्टेट लेवल के अवार्ड मिल चुके हेंगें। बाकी कल मिशन पंख के इस अगुआ को जब हंड्रेड इंस्पायरिंग इंडियन्स बुक में शामिल किए जाने की खबर मिली तो इनकी खुशी आंखों से छलक गई। कोई 25 बरस पेले धर्मेंद्र की वालेदा लक्ष्मी शाह बहेलियों से उनके पिंजरों में कैद तोतों को खरीद के आसमान में उड़ा दिया करती थीं। बीस बरस पेले मां चल बसीं तो धर्मेंद्र शाह ने इस काम को बाकायदा तरतीब दी और ‘मिशन पंखÓ के ज़रिए इस नेक काम को आगे बढ़ा रहे हैं।भाई मियां उन घरों में जाते हैं जहां तोते पिंजरों में कैद हैं। लोगों को समझाते कि जिस तोते को आपने 18 इंच के पिंजरे में उम्र कैद दे रखी है उसे अपने पर फैलाने के लिये 27 इंच की जगह चाहिए। उन्हें बताया जाता कि बेजुबान पंछी पे इस जुल्म की वजह से अपनी नस्ल आगे नहीं बढ़ा सकता। वहीं जहां कुदरती माहौल में तोता 45 बरस तक जिंदा रह सकता है तो पिंजरे में उसकी उम्र दस से बारह बरस तक ही रह पाती है। धर्मेंद्र बताते हैं कि तीन चार महीने तक पिंजरे में कैद तोता आज़ाद करने पर उड़ जाता है। इस तरह के करीब 30 हज़ार तोते ये आज़ाद करवा चुके हैं। बाकी ज्यादा वखत से पिंजरे में कैद तोता उडऩा भूल जाता है। उसके लिए ये अपने खर्च पे ज़्यादा बड़ा और ऊंचा पिंजरा मुहैया कराते हैं। धर्मेंद्र चाहते हैं कि सरकार तोतों को घरों में पालना बन्द कराए। वरना वो दिन दूर नहीं जब तोता भी विलुप्त हो जाएगा। सिर्फ अपने शौक के लिए मासूम परिंदे पे ज़ुल्म ठीक नहीं। धर्मेंद्र का मिशन पंख भोपाल के अलावा मुम्बई, अहमदाबाद, गुडग़ांव, सूरत, पुणे, हैदराबाद तलक फेल गया है। ये खुद अपने पूरे अहलोअयाल के साथ इस मिशन में लगे हुए हैं। ये लोग हर रोज़ लोगों के घरों में कैद तोतों को आज़ाद करवाते हैं। तोतों के व्यवहार और आदतों पे इंन्ने बाकायदा रिसर्च करी है।अपने इस मिशन के लिए धर्मेंद्र किसी से एक रुपिया नईं लेते। एक ओर खास बात ये की मिशन पंख की मुहिम से मुतास्सिर होके कौन बनेगा करोड़पति की टीम ने इने स्पेशल एपिसोड के लिए बुलाया है। कुछ महीनों बाद ये केबीसी की हॉट सीट पे बिग बी के सामने होंगे। लगे रओ मियां…देखना एक दिन मिशन पंख की ये मुहीम तुमे भोत ऊपर ले जाएगी।

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