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बड़ा ‘फर्जीवाड़ा’! कोरोना से एक दिन में मरे 47 तो 13 ही क्यों बता रही सरकार?

पटना। बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े हर बीतते दिन के साथ बढ़ते ही जा रहे हैं। शुक्रवार को पूरे राज्य में रिकॉर्ड 6253 संक्रमितों की पहचान की गई। पटना में कोरोना मरीजों का आंकड़ा करीब 1364 रहा। पटना के बाद सबसे ज्यादा 590 कोरोना संक्रमित गया में मिले। इसके अलावा राज्य के 20 अन्य जिलों में भी 100 से ज्यादा मरीज मिले। जाहिर है स्थिति भयावह है और इसपर जल्द ही नियंत्रण नहीं पाया गया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। इन्हीं आंकड़ों के बीच कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा भी है जिसपर लोग संदेह जता रहे हैं। दरअसल स्वास्थ्य विभाग से जारी मौत की संख्या और श्मशान घाटों से मिल रहे आंकड़ों में भारी अंतर है।

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट की पड़ताल में भी यह बात सामने आ रही है कि सरकार जो आंकड़े दे रही और श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों से जो संख्या सामने आ रही है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं बड़ा घालमेल चल रहा है। दरअसल शुक्रवार की मौतों की संख्या पर नजर डालें तो पटना में 18 समेत बिहार में 47 लोगों की कोरोना से मौत के मामले सामने आए। इनमें पटना के एनएमसीएच में नौ, एम्स में तीन और पीएमसीएच में चार और रूबन अस्पताल में दो मरीजों की मौत हुई। इस बात की पुष्टि न्यूज 18 की पड़ताल में भी हुई।

पटना छोड़ विभिन्न जिलों में 30 मौत
अलग-अलग जिलों में भी शुक्रवार को 30 लोगों की मौत हो गयी। यानी कुल 47 मौत हुई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने पूरे राज्य में महज 13 लोगों के मौतों की पुष्टि की। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मौत के आंकड़ों पर नजर डालें तो दरभंगा के डीएमसीएच में नौ, मोतिहारी में तीन, समस्तीपुर में एक, मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में दो, गया में म दो, भागलपुर के मायागंज अस्पताल में पांच, बेगूसराय में दो, सारण में दो और सीवान में एक की मौत हुई। कैमूर में एक की मौत की आधिकारिक पुष्टि की गई है। इसी तरह औरंगाबाद और नालंदा से भी मौत की खबरें सामने आई हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर उठे सवाल
जाहिर है अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या स्वास्थ्य विभाग हर दिन जो मौत की संख्या बता रहा है, उसमें कोई घालमेल किया जा रहा है? क्या सरकारी स्तर पर मौत के मामले छिपाए जा रहे हैं? क्या ऐसा जान बूझकर किया जा रहा है कि पैनिक न फैले या फिर ये कि सरकार की नाकामी छिपाने के लिए ये सारी कवायद की जा रही है? बहरहाल इन सब के बावजूद मौत के मातम के बीच आंकड़ों की बाजीगरी से सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।

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