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भाजपा किसानों को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती : अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर 25 दिसम्बर 2020 से प्रारम्भ समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम आज दूसरे दिन भी प्रदेश के सभी जनपदों में सम्पन्न हुआ। जनजागरण और जनसम्पर्क का यह कार्यक्रम अगले निर्देश तक चलता रहेगा। सुविधानुसार एक दो गांवों का चयन कर समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम का आयोजन जारी रखना है।

सांसदों, पूर्व सांसदों, पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों, एवं जनपदों के पदाधिकारियों ने चैपाल लगाकर किसानों के बीच समाजवादी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की। चर्चा के दौरान किसानों ने भाजपा राज में होने वाली तमाम परेशानियों के बारे में बताया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में किसानों के साथ घोर अन्याय हुआ है। भाजपा किसानों को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। भाजपा की आर्थिक नीतियां कारपोरेट कारोबारियों के पक्ष में रहती है। उसकी नीतियों में किसानों के लिए कोई स्थान नहीं है। समाजवादी पार्टी द्वारा समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम के तहत इन्हीं बातों को गांव-गांव किसानों तक पहुंचाया जा रहा है।

अखिलेश यादव ने कहा कि किसान आज देश भर में आंदोलित हैं। भाजपा सरकार किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी देने को तैयार नहीं है। किसानों का खेती पर स्वामित्व भी खतरे में पड़ने वाला है। भाजपा सरकार कॉन्ट्रैक्ट खेती के नाम पर किसानों का खेत छीनने की साजिश कर रही है। किसान की फसल बड़े सेठो के मनमर्जी के दामों पर लूटने का प्रबन्ध किया जा रहा है। भाजपा ने किसानों से जो वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए। न तो किसानों को लागत का ड्योढ़ा दाम मिला, नहीं उनकी आय दुगनी होने के आसार हैं।

गन्ना किसानों का बकाया अभी तक अदा नहीं हुआ। मंडिया समाप्त की जा रही है। किसानों को समाजवादी सरकार में कर्जमाफी, मुफ्त सिंचाई, खाद, बीज की समय से उपलब्धता, पेंशन और फसल बीमा की सुविधाएं दी गई थी। किसानों को रियायती दर पर बिजली मिलती थी। भाजपा सरकार ने तो किसानों पर बिजली का भार भी बढ़ा दिया है। भाजपा सरकार ने जो नए तीन कृषि कानून बनाए हैं उनसे किसान बर्बाद हो जाएंगे। यह किसान के पक्ष में तो कतई नहीं है। इससे आक्रोशित किसानों को सरकार बदनाम करने पर तुल गई है। वह उन्हें आतंकवादी या विपक्ष के इशारे पर आंदोलनकारी बता रही है। यह अन्नदाता को अपमानित करना है।

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