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राजस्थान में BJP की ‘महंत’ पॉलिटिक्स, मुस्लिम क्षेत्र में संतों को टिकट देकर खेला ‘हिंदुत्व कार्ड’

जयपुर: राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी ‘हिंदुत्व’ की सियासी बिसात बिछाने में जुटी है. विधानसभा चुनाव प्रचार में ही नहीं बल्कि आक्रामक हिंदुत्व का एजेंटा सेट करने में बीजेपी किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में अभी तक 184 कैंडिडेट के नामों का ऐलान किया है, जिसमें मंदिरों और मठों से जुड़े महंत-संत और भजन गायक को टिकट दिया है. बीजेपी ने महंत-संतों को मुस्लिम बहुल सीट पर प्रत्याशी बनाकर ‘हिंदुत्व’ का दांव चला है.

बीजेपी ने राजस्थान की पांच सीटों पर महंत-संत और भजन गायक को प्रत्याशी बनाया है. तिजारा सीट पर बीजेपी ने बाबा बालकनाथ, जयपुर की हवामहल सीट पर बालमुकुंद आचार्य, पोकरण सीट पर तारातरा मठ के महंत प्रतापपुरी को प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा पचदारा सीट से भजन गायक प्रकाश माली तो सिरोही सीट पर चमुण्डा माता मंदिर के पुजारी ओटाराम देवासी को प्रत्याशी बनाया है. राजस्थान में बीजेपी की महंत पॉलिटिक्स और सियासी मकसद को साफतौर पर समझा सकता है.

तिजारा: इमरान बनाम बालकनाथ
अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ योगी को बीजेपी ने तिजारा विधानसभा सीट से टिकट दिया है. बालकनाथ को राजस्थान का योगी आदित्यनाथ कहा जाता है. बालकनाथ के नामांकन में भी यूपी के सीएम योगी पहुंचे थे. योगी आदित्यनाथ जिस तरह से गोरखनाथ पीठ महंत हैं उसी तरह बालकनाथ भी मस्तनाथ मठ के महंत है. दोनों नेता एक ही नाथ संप्रदाय से जुड़े हुए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बालकनाथ अलवर सीट से सांसद चुने गए थे और अब बीजेपी ने उन्हें तिजारा सीट से उतारा है, जो राजस्थान के मेवात रीजन में आती है.

तिजारा सीट पर मुस्लिम बहुल सीटों में गिनी जाती है, जिसके चलते कांग्रेस ने मेवाती इमरान खान को प्रत्याशी बनाया है. यहां पर यादव, गुर्जर, मुस्लिम और एससी-एसटी समुदाय के वोटों की अच्छी खासी संख्या है. ऐसे में बीजेपी ने बालकनाथ को टिकट देकर हिंदुत्व का दांव चला है तो कांग्रेस ने मुस्लिम कार्ड खेला है, जिसके चलते मुकाबला काफी रोचक हो सकता है और हिंदुत्व की पॉलिटिक्स का शोर भी सुनाई देना शुरू कर दिया है.

पोखरण: साले मोहम्मद बनाम महंत प्रताप पुरी
पोखरण विधानसभा सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर से तारातरा मठ के महंत प्रताप पुरी पर दांव लगाया है. राजस्थान के बाड़मेर क्षेत्र में उनकी तुलना यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से की जाती है. हिंदुत्व के मुद्दों को लेकर महंत प्रताप पुरी मुखर रहते हैं और लव जिहाद को लेकर मोर्चा खोल रखी है. इतना ही नहीं हिंदू युवाओं की एक टोली बना रखी है. इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के साले मोहम्मद से है, जो मुस्लिम धर्मगुरु के बेटे हैं. साले के पिता गाजी फकीर माने जाते हैं, जिनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.


पोखरण सीट पर 60 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता है, तो राजपूत 50 हजार, दलित 45 हजार और ओबीसी 35 हजार हैं. ऐसे में मुस्लिम बहुल सीट पर कांग्रेस के मुस्लिम कार्ड के जवाब में बीजेपी ने हिंदुत्व का दांव चला है ताकि बहुसंख्यक वोटों को एकजुट किया जाए सके. ऐसे में देखना है कि साले मोहम्मद और महंत प्रताप पुरी में कौन सियासी बाजी मारता है?

हवामहल: बालमुकुंद आचार्य
जयपुर की हवामहल विधानसभा सीट से बीजेपी ने बालमुकुंद आचार्य को प्रत्याशी बनाया है. हवामहल सीट पर मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में है. 2018 में कांग्रेस ने ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों के सियासी समीकरण के जरिए जीत दर्ज की थी है और महेश जोशी विधायक बने थे. बीजेपी ने इस सीट पर इस बार हिंदुत्व का दांव खेल खेलते हुए बालाजी हाथोज धाम के महंत बालमुकुंद आचार्य को उतारा है. वो हिंदु धर्म की रक्षा के नाम पर आंदोलन चला रह है. बाल मुकंद आचार्य महाराज राजस्थान में अखिल भारतीय संत समाज के प्रमुख हैं. परकोटा क्षेत्र में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा बालमुकुंद उठाते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने मुस्लिम बहुल हवामहल सीट पर उन्हें उतारकर हिंदुत्व का दांव खेला है.

सिरोही: ओटाराम देवासी
राजस्थान में देवभूमि के नाम से सिरोही विधानसभा सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर से ओटाराम देवासी को प्रत्याशी बनाया है, जो चमुण्डा माता के भक्त हैं. रेबारी समाज से आने वाले ओटाराम देवासी पिछली बार चुनाव हार गये थे, लेकिन उसके पहले दो बार विधायक रह चुके है. ऐसे में इस बार बीजेपी ने एक बार फिर से दांव खेला है तो कांग्रेस ने विधायक संयम लोढ़ा को उतारा है. ओटाराम देवासी ओबीसी से आते हैं, लेकिन बीजेपी के हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे हैं. ओटाराम देवासी राजस्थान में वसुंधरा सरकार में देश के पहले गो पालन मंत्री रहे. इसके अलावा उनकी अपनी पकड़ है.

पचपदारा: भजन गायक प्रकाश माली
विख्यात भजन गायक प्रकाश माली को बीजेपी ने पचपदारा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. राजस्थान में भजन गायक के रूप में उनकी एक अपनी पहचान है, जिसके कैश कराने के लिए बीजेपी ने उन्हें मैदान में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जाति से ही प्रकाश माली आते हैं. ऐसे में बीजेपी ने उन्हें चुनाव में उतारकर सिर्फ हिंदुत्व का दांव ही नहीं बल्कि कांग्रेस के ओबीसी वोटों को भी साधने का दांव चला है. कांग्रेस ने पचमदारा सीट पर मदन प्रजापति को उतारा है.

वहीं, कांग्रेस भी राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व का दांव खेल रही है, लेकिन बीजेपी की तरफ आक्रमक तरीके से नहीं. कांग्रेस ने इस बार के विधानसभा चुनाव में मालवीनगर से आचार्य धर्मेंद्र की पुत्रवधु अर्चना शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. इतना ही नहीं अनादि सरस्वती को सीएम गहलोत ने गुरुवार को कांग्रेस में शामिल कराया है और माना जा रहा है कि उन्हें अजमेर उत्तर से पार्टी टिकट दे सकती है. इस तरह कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस बार महंत और संत को उतारकर सियासी दांव खेल रहे हैं. ऐसे में देखना है कि बीजेपी और कांग्रेस की महंत पॉलिटिक्स क्या गुल खिलाती है?

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